क्या है स्पेस फोर्स
क्या है स्पेस फोर्स
दुनिया में कहीं भी जब कोई मिसाइल लॉन्च होती है तो अमेरिका को इसका पता चल जाता है, चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध में दागी जा रही मिसाइलें हों या फिर ईरान द्वारा कतर अल उदैद एयर बेस पर किया गया मिसाइल हमला हो। लेकिन यह होता कैसे है? यूएस स्पेस फोर्स यह काम करती है। दरअसल, दुनिया भर के विकसित देश अब स्पेस से युद्ध को नियंत्रित करने और खुद को दुश्मन से आगे रखने के लिए अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं।
क्या है स्पेस फोर्स (SPACE FORCE) ?
अमेरिका ने दिसंबर 2019 में यूनाइटेड स्टेट्स स्पेस फोर्स(USSF) का गठन किया था। यह अमेरिकी सशस्त्र दल की छठी शाखा है,अंतरिक्ष से जुड़े सैन्य अभियानों की जिम्मेदारी संभालती है। इससे पहले, अंतरक्ष संबंधी काम मुख्यतः एयर फोर्स संभालती थी। 2011 की अमेरिकी स्पेस कमीशन की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि एयर फोर्स अंतरिक्ष को केवल सहायक क्षमता के रूप में देखता है। इसलिए अलग फोर्स की जरूरत है। चीन और रूस जैसे देश एंटी-सैटेलाइट हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं,जिससे अमेरिका के कम्युनिकेशन, नेविगेशन और जासूसी उपग्रहों को खतरा पैदा हो गया है। स्पेस फोर्स का मकसद अंतरिक्ष में तकनीकी बढ़त बनाए रखना और यह सुनिश्चत करना है कि अमेरिका की संचार निगरानी भी परिस्थिती में बाधित न हो ।
अमेरिका में 1947 के बाद पहली बार एक नई सैन्य शाखा का गठन किया गया है। इसके गठन में करीब 25 हजार करोड़ रुपए खर्च आया था।
2. मुख्य मिशन का काम क्या हैं ?
स्पेस फोर्स का मुख्य मिशन अंतरिक्ष में अमेरिकी हितों की रक्षा करना और रणनीतिक बढ़त बनाए रखना है। युनाइटेड स्टेट स्पेस फोर्स एक्ट में इसके कार्यों को विस्तार से बताया गया है।
पहला: यह उन सभी अमेरिकी सैन्य उपग्रहों की सुरक्षा और संचालन सुनिश्चित करती है, जिनसे नेविगेशन, संचार, मौसम की भविष्यवाणी और जासूसी जैसे महत्वपूर्ण कार्य होते हैं।
दूसरा: यह अंतरिक्ष में संभावित खतरों की निगरानी करती है, चाहे वो दुश्मन देशों के उपग्रह हों, एंटी-सैटेलाइट हथियारों का परीक्षण हो या अंतरिक्ष कचरे का खतरा हो।
तीसरा: स्पेस फोर्स अंतरिक्ष- आधारित तकनीक और रॉकेट लॉन्च सिस्टम विकसित और तैनात करती है, जिसमे सेना को दुनिया केिमी भी हिस्से में रियल-टाइम डेटा मिल सके । इसके अलावा, यह साइबर डिफेस और स्पेस-आधारित कमांड नेट वर्क को सुरक्षित रखने का काम भी करती है।
3.अभी तक कौन-से मिशन किए हैं ?
2023 की स्पेस पावर कॉन्फ्रेंस में यूएसएसएफ चीफ जनरलवबी. चांस साल्ट्रजमैन ने बताया कि स्पेस फोर्स ने अब तक कईव मिशन पूरे किए हैं। इनमें सबसे प्रमुख अमेरिकी सैन्य उपग्रहोंवकी तैनाती और उनके कक्षीय मार्ग की निगरानी है। जीपीएस-॥ उपग्रहों का प्रक्षेषण किया, जिससे सेना और नागरिक दोनों को बेहतर लोकेशन और टाइमिंग सेवाएं मिली हैं। इसने एक्स-37 बी नामक गुप्त अंतरिक्ष विमान के अभियानों की निगरानी की, जो महीनों तक कक्ष में रहकर परीक्षण करता है। स्पेस फोर्स ने रूस और चीन के ऐसे उपग्रह पर भी नजर रखी है जो अमेरिकी सैटेलाइट के करीब आते हैं या उनका पीछा करते हैं । 2022 में, इसने स्पेस फेंस नामक रडार सिस्टम सक्रिय किया,जो एक सेमी. छोटी वस्तुओं का भी पता लगा सकता है।
4. ऐसी फोर्स किन देशों के पास है?
अमेरिका की तरह अन्य देश भी अंतरिक्ष सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं, हालांकि बहुत कम देशों के पास अलग से ‘स्पेसफोर्स जैसी शाखा है। उदाहरण के तौर पर रूस के पास एयरोस्पेस फोर्स नाम की इकाई है, जो अंतरिक्ष और हवाई अभियानों दोनों का प्रबंधन संभालती है। इसी तरह चीन के पास पीपूल्स लिवरेशन आमीं स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स है, जो साइबर, इलेक्टॉनिक और स्पेस वार फेयर जैसे कामों को संभालती है। फ्रांस ने 2019 में अपना स्पेस कमांड बनाया है,जिसका उद्देश्य सैन्य उपग्रहों की सुरक्षा और निगरानी करना है। जहां तक भारत की बात है तो अभी तक अलग से कोई स्पेस फोर्स व नहीं किया गया है, लेकिन डिफेंस स्पेस एजेंसी और डिफेंस स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन(डीएसआरओ) भारत के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में क्षमताओं को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
5. यह तकनीक का उन्नयन है ?
स्पेस फोर्स के पास उन्नत सैन्य उपग्रह हैं जो संचार, नेविगेशन और निगरानी के लिए काम करते हैं। स्पेस फेंस जैसे रडार सिस्टम, जो एक सेंटीमीटर के मलवे का भी पता लगा सकते हैं, इसकी बड़ी ताकत हैं। इसके अलावा, यह एक्स-37 बी जैसे मानवरहित अंतरिक्ष विमान, हाई-पावर टेलीस्कोप ऑर्बिटल ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करती है। यह फोर्सएआई और मशीन लनिंग का उपयोग स्पेस डेटा के विश्लेषण और संभावित खतरों की भविष्यवाणी में करती है। इसके पास सुरक्षित स्पेस कमांड सेंट्र भी हैं, जहां से पूरी दुनिया के कक्षीय डेटा की निगरानी होती है। संक्षेप में, स्पेस फोर्स की तकनीक किसी साइंस-फिक्शन फिल्म की तरह उन्नत है, लेकिन पूरी तरह वास्तविक और ऑपरेशनल है।
6. स्पेस फोर्स का गठन शुरू से ही विवादों में रहा
स्पेस फोर्स का गठन शुरू से ही विवादों में रहा है। आलोचकों का कहना है कि यह अंतरिक्ष के ‘मिलिट्रकरण’ को बढ़ावा देगा, जबकि 1967 की आउटर स्पेस संधि में अंतरिक्ष को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए रखने की बात कही गई है। कई लोगों ने इसे राजनीतिक कदम बताया, जो डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की छवि को मजबूत करने के लिए उठाया गया था। अमेरिका के पूर्व वायु सेना सचिव हैदर विलसन ने एक रिपोर्ट में बताया था कि अमेरिकी सेना की इस शाखा पर पांच वर्षों में भवन निर्माण, स्टाफ और व्यवस्थाओं के लिए लगभग 1.13 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च होगा। इसके गठन के बाद से इस पर अरबों डॉलर खर्च हो गाए, जबकि कुछ विशेषज्ञ मानतेवहैं कि यह काम मौजूदा एयर फोर्स से भी कराया जा सकता था।
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