SSC : अब एक नहीं चार एजेन्सी परीक्षा आयोजित करेगीं

कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की 24 जुलाई से 1 अगस्त के बीच हुई परीक्षाओं में कैंडिडेट्स को तकनीकी और प्रशासनिक समस्याओं से दो- चार होना पड़ा। आयोग ने भी इस बात को माना है कि कई सेंटरों पर कंप्यूटर हैंग, उसका ठीक से काम न करना, आधार वेरिफिकेशन में देरी, बहुत ज्यादा दूर सेंटर जैसे वाकये हुए हैं और यही कारण है कि कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (CGL) परीक्षा को सितंबर तक के लिए टाला गया है।

ssc ने इन समस्याओं को दूर करने की दिशा में क्या काम किया है और कैसे कैंडिडेट्स का भरोसा सिस्टम पर आपाएगा, अब आने वाले समय में होने वाली परीक्षाओं में क्या बड़े बदलाव हो रहे हैं, इन सब महत्वपूर्ण सवालों पर मीडिया से आयोग के चेयरमैन एस गोपालाकृष्णन से विस्तार से बातचीत की और उन्होंने कैंडिडेट्स से अपील की है कि एसएससी से जो भी उम्मीद है, उसको हाई रखें, साथ ही यह भी कहा कि जिन भी कमियों को लेकर कैंडिडेट ने शिकायतें की हैं, उनको दूर करने की हर संभव कोशिश की गई है और की जा रही है।

जवाब- एसएससी में रिक्रूटर्मेट के लिए साल भर एग्जाम होते हैं और मई- जून से साइकल शुरू होता है। एसएससी कंप्यूटर बेस्ड यानी सीबीटी मोड में एग्जाम कंडक्ट करवाता है। मई-जून 2025 तक एक पैटर्न चल रहा था लेकिन जुलाई से पैटर्न चेंज किये गए हैं। प्रोसेस में बदलाव के कारण कुछ कमियाँ सामने आई और कैंडिडेट्स की शिकायतें भी जायज है। उन्हें एग्जाम सेंटर पास में मिलना चाहिए, टेस्ट समय पर शुरू होना चाहिए, कंप्यूटर ठीक से वर्क करन चाहिए, क्वेश्वन में गलती नहीं हो, क्वेश्वन ठीक होना चाहिए।

प्रोसेस चेंज होने के कारण कुछ दिक्कतें हुई, उनको दूर करनेके लिए तुरंत प्रभाव से काम शुरू किया गया। प्रोसेस ने रीवर्क किया है और स्टेनो व हिंदी ट्रॉंसलेटर का एग्जाम भी उसके बाद ठीक से पूरा हुआ है। CGL के लिए सिस्टम को रीऑडिट किया जा रहा है और रीस्ट्रक्वरिंग में कुछ समय लग रहा है और सितंबर में सीजीएल एग्जाम शुरू हो जाएगा।

टेक्निकल, ऑपरेशनल और टेक्नोलोजिकल के हिसाब से एग्जाम पैटर्न चेंज किया है, जिसका असर सितंबर के एग्जाम से और ज्यादा देखने को मिलेगा। हां यह बता सही है कि कई बार कुछ क्वेश्चन कंपोजिशन में गलत थे जैसे किसी सवाल के जवाब ए,बी ,सी,डी में बी सी एक जैसे थे, या डी खाली है,बहुत कम क्वेश्वन में ऐसा हुआ है कि हिंदी मे कुछ अर्थ था और इंग्लिश में अलग। इन सबको करेक्ट किया है।

जवाब- 2018 से एससएसी सारे एग्जाम सीबीटी मोड में कर रहा है। छह साल तक नॉर्मलाजेशनकई का दूसरा फॉर्मूला था,जिसे अब चेंज किया गया है। पुराने फॉर्मूले में कोई कमी थी,यह तो नहीं कहूंगा लेकिन स्टैटिक्स के हिसाब से नॉर्मलाजेशन कई तरह से कर सकते हैं। बैंक एग्जाम में एक अलग तरीके से नॉर्मलाइजेशन होता है, कैट में एक तरह से होता है, सीबीएसई अलग तरह से ।

इस बार वेंडर यानी एजेंसी को चेंज किया गया था। नई एजेंसी को सेंटर तलाशने में दिक्कत हुई, जिसके चलते कैंडिडेट्स को दूर- दूर सेंटर मिले लेकिन अब प्लेटफार्म व टेक्नोलोजी सॉल्यूशन के जरिए इस समस्या को हल किया जा रहा है। एक वेंडर के बदले चार अलग- अलग संस्थाएं यानी इकाईयों को जिम्मेदारी दी गई है।

नौकरी में जॉइन करेगा तो आधार से ऑथेटिकेशन करके जॉइन करेगा। पहले कुछ दिनों में इस प्रोसेस को स्थिर या संतुलित करने में समय लगा, जब भी आधार वेरिफिकेशन करते हैं तो ओटीपी आता है, कई सेंटरों पर इसमें समय लगा। लेकिन आधार से ज़ुड़ने से परीक्षा में गड़बड़ी पर काफी हद तक लगाम लगी है। दूसरी बात यह है कि प्रोसेस को डिजिटाइज किया है। कोई देख नहीं सकता कि पेपर में क्या आ रहा है, कैसा आ रहा है। गोपनीयता व पेपर लीक की संभावना को खत्म करने के लिए बदलाव किया है।

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