दुनिया की No 1 कंपनी : एनवीडिया -AI युग का इंजन ! कंपनी का मार्केट कैप 5 ट्रिलियन डॉलर को पार …
एनवीडिया : AI युग का इंजन ! कंपनी का मार्केट कैप 5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है।
जीपीयू (GPU) तकनीक में विशेषज्ञता रखने वाली अग्रणी चिप निर्माता कंपनी ‘एनवीडिया’ (Nvidia) को नई ऊंचाई तब मिली, जब उसने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के क्षेत्र में कदम रखा। साल 2022 में जब ओपन एआई ने अपना ‘चैटजीपीटी’ आम लोगाें के लिए लॉन्च किया तो पूरी दुनिया का ध्यान एनवीडिया पर गया, क्योंकि इस तकनीक के पीछे चल रहा सुपरकंप्यूटर 10,000 NVIDIA जीपीयू से ही संचालित हो रहा था।
देखते ही देखते एनवीडिया की मार्केट वैल्यू में इजाफा होने लगा। जून 2023 में पहली बार कंपनी की मार्केट वैल्यू ने 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छुआ और उसके बाद केवल ढाई साल में ही कंपनी एक ट्रिलियन से 5 ट्रिलियन डॉलर की मार्केट वैल्यू तक पहुंच गई। इस बेंच मार्क को इसने हाल ही में हासिल किया है और ऐसा करने वाली यह दुनिया की पहली कंपनी है। यह आंकड़ा कितना बड़ा है, इसका अंदाजा केवल इस एक तथ्य से लगाया जा सकता है कि इस वैल्यू से ऊपर जीडीपी वाले केवल दो ही देश (अमेरिका और चीन) हैं। भारत की जीडीपी लगभग 4.2 ट्रिलियन डॉलर है। कंपनी ने यह उपलब्धि सह- संस्थापक व सीईओ जेन्सेन हुआंग की कड़ी मेहनत और उनके भावी विजन के बलबूते केवल 32 साल में हासिल की है।
किन हालात में हुआ था एनवीडिया का जन्म?
जेन्सेन हुआंग 1989 में एलएसआई लॉजिक में काम कर रहे थे। इसी समय उनका संपर्क क्रिस मलाचोव्स्की और कर्टिस प्रीम से हुआ, जो सन माइक्रोसिस्टम्स में काम करते थे। यह वह दौर था, जब कंप्यूटर आम लोगों तक पहुंच रहे थे, लेकिन उनमें ग्राफिक्स और गेमिंग का एक्सपीरियंस बहुत सीमित था। इसी कमी ने तीनों मन में एक नई सोच जगाई और उन्होंने ऐसी चिप बनाने का निश्चय किया जो कंप्यूटर को ‘देखने’ और ‘सोचने’ की भी शक्ति दे।
फलतः 1993 में एनवीडिया अस्तित्व में आई
एनवीडिया का हेडक्वार्टर कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में स्थित है। यहां दो कैम्पस बने हैं, जो कुल मिलाकर करीब 13 लाख वर्ग फुट में फैले हुए हैं। इन दोनों में करीब 5 हजार वर्क स्टेशन बने हुए हैं। छत और दीवारों में प्राकृतिक रोशनी आने के लिए पारदर्शी ज्यामितीय ग्लास पैनल लगाए गए हैं, जिससे ऊर्जा की बचत होती है। यहां ‘ओपन फ्लोर’ कॉन्सेप्ट है यानी कोई कैबिन नहीं है।
कैसे पता चली एनवीडिया की अहमियत?
साल 2003 में कंपनी ने नासा के लिए काम करना शुरू किया। यह ऑडी वाहनों के लिए सबसे बड़ी ग्राफिक्स चिप सप्लायर भी बन गई। हालांकि इस समय तक भी कंपनी लो- प्रोफाइल होकर काम कर रही थी। इसका कोई डायरेक्ट प्रोडक्ट (जैसे कोई कार यासमोबाइल) न होने से इसके बारे में अधिकांशसलोगों को बहुत कम जानकारी थी। लेकिन 2007 में जब फोर्स ने इसे ‘कंपनी ऑफ द ईयर’ के खिताब से नवाजा, तब लोगों की इसकी अहमियत के बारे में पता चलने लगा।
कैसे जीपीयू(GPU) ने बदला खेल!
एनवीडिया की सफलता को समझने के लिए जीपीयू (Graphics Processing Unit) को समझना जरूरी है। जीपीयू के आविष्कार का श्रेय जिम क्लार्क को जाता है। उन्होंने 1980 के दशक में शुरुआती जीपीयू बनाए थे। फिर 1990 के दशक में एनवीडिया और कुछ और कंपनियों ने ‘ग्राफिक्स एक्सीलरेटर कार्ड्स’ बनाए, लेकिन ये ज्यादा सफल नहीं हुए। टर्निंग पॉइंट आया 1999 में, जब एनवीडिया ने जीफोर्स-256 लॉन्च किया और इसी के साथ पहली बार ‘जीपीयू’ शब्द गढ़ा गया। एनवीडिया ने इसे ‘दुनिया का पहला GPU’ कहा। इसकी सफलता के बाद उसे माइक्रोसॉफ्ट ने अपने गेमिंग कंसोल ‘X box’ के लिए हार्डवेयर विकसित करने का ठेका दिया। इस प्रोजेक्ट के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने एनवीडिया को 20 करोड़ डॉलर एडवान्स दिए थे। आज एआई, गेमिंग, डिजाइन और मशीन लर्निंग में जीपीयू सबसे जरूरी चिप बन चुका है। और इसी के बलबूते कंपनी ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है।
आज यह कंपनी क्यों है तकनीकी सुपरपावर?
ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस रिपोर्ट 2024 के अनुसार आज 90 फीसदी से ज्यादा एआई मॉडल और डेटा सेंटर्स एनवीडिया के चिप्स पर चलते हैं। इसी तकनीकी एकाधिकार ने उसे ‘एआई युग का इंजन’ बना दिया है, ऐसी स्थिति जहां दुनिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था उसके बिना आगे नहीं बढ़ सकती। इसी तरह दुनिया के 70 फीसदी सुपरकंप्यूटर्स में इसकी ही चिप्स का इस्तेमाल हो रहा है। कंपनी के अत्याधुनिक चिप्स से ही चैटजीपीटी, टेस्ला, गूगल और अमेजन जैसी कंपनियों के सर्वर चलते हैं।
एनवीडिया की भविष्य में क्या हैं योजनाएं ?
आगे की योजना मुख्य रूप से सुपरकंप्यूटिंग, डेटा सेंटर और रोबोटिक्स को विकसित करने पर केंद्रित है। इनमें भी सबसे ज्यादा फोकस स्वचालित कारों पर रहेगा। इसके लिए वह एक नए ऑटोमेटिव प्लेटफॉर्म ‘NVIDIA DRIVE Thor’ पर काम कर रही है। माना जा रहा है कि यह एआई-चलित वाहनों में क्रांति ला सकता है। इससे कारों में मनुष्य की तरह सोचकर निर्णय लेने की क्षमताएं पैदा हो जाएंगी। कंपनी अमेरिकी ऊर्जा विभाग के साथ मिलकर 7 सुपरकंप्यूटर भी बनाने जा रही है।

ऐसा रहा 5 ट्रिलियन डॉलर का सफर…
पहला ट्रिलियन डॉलर : जून 2023 में एनवीडिया ने पहली बार 1 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप की सीमा पार की। यह एनवीडिया के लिए एक अहम उपलब्धि थी।
दूसरा ट्रिलियन डॉलर: फरवरी 2024 मैं एनवीडिया की मार्केट वैल्यू 2 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंची। एआई क्षेत्र में बूम ने इसे तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी जगह दिलाई।
तीसरा ट्रिलियन डॉलर : जून 2024 एनवीडिया ने 3 ट्रिलियन डॉलर के वैल्यूएशन को छुआ, जो केवल कुछ महीनों में अर्जित नई सफलता थी। इससे यह एपल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गजों के करीब आ गई।
चौथा ट्रिलियन डॉलर: जुलाई 2025 में एनवीडिया 4 ट्रिलियन डॉलर मार्केट केप क्लब में शामिल हुई और दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक के रूप में अपनी जगह और मजबूत की।
पांचवां ट्रिलियन डॉलर: 29 अक्टूबर 2025 को एनवीडिया 5 ट्रिलियन डॉलर मार्केट वैल्यू तक पहुंची। इससे यह इतिहास की ऐसी पहली पब्लिक कंपनी बन गई है।
प्रारंभ में कोई दफ्तर नहीं था …
कंपनी बनाने के मकसद से जेन्सेन हुआंग ने एक वकील जेम्स गेथर की सेवाएं लीं। वकील ने हुआंग से कहा कि उन्हें कंपनी की पूंजी कम से कम 200 डॉलर दर्शानी होगी।इस पर हुआंग ने सह-संस्थापक मलाचोव्स्की और प्रीम से भी 200-200 डॉलर मांगे। इस तरह कागजों में अप्रैल 1993 में एनवीडिया ने सिर्फ 600 डॉलर की पूंजी से कंपनी की शुरुआत की। हालांकि असल में उन तीनों ने अपने घर की बचत और दोस्तों से लिए गए पैसे से लगभग 40 हजार डॉलर की पूंजी जुटा ली थी। प्रारंभ में कोई दफ्तर नहीं था। बस एक छोटी-सी किराए की जगह और कुछ कंप्यूटर थे। स्टॉक एनालिसिस के अनुसार 1996 में भी कंपनी में केवल 42 कर्मचारी काम कर रहे थे। आज यह संख्या करीब 36 हजार तक पहुंच चुकी है।।
नाम ऐसा हो कि लोग….’ईर्ष्या करने लगें
तीनों संस्थापकों हुआंग, क्रिस मलाचोव्स्की और कर्टिस प्रीम, ने कंपनी का पहला कोड नेम ‘NV’ (नेक्स्ट विजन) रखा था। बाद में जब उन्हें एक स्थायी नाम की जरूरत पड़ी, तब उन्होंने उन्होंने लैटिन शब्द ‘इन्वीडिया’ ( invidia ) से प्रेरणा ली और कंपनी का नाम कर दिया ‘एनवीडिया’। ‘invidia’ का अर्थ होता है ‘ईर्ष्या । प्रीम का विचार था कि हमें ऐसा उत्पाद बनाना चाहिए, जिसे देखकर बाकी सभी कंपनियां ईर्ष्या या जलन से भर जाए।
जब केवल 30 दिनों के बराबर पैसा बचा था
हुआंग ने कई बार कहा है कि शुरुआत में कंपनी की सफलता की ‘लगभग 0% संभावना थी। 1996 में कंपनी के पास सिर्फ 30 दिनों के वेतन के बराबर पैसे बचे थे। उस कठिन दौर में हुआंग ने एक साहसिक निर्णय लिया और टीम में आधी कटौती कर दी। जो पूंजी बची, वह नए ग्राफिक्स चिप के निर्माण पर लगा दी। इससे ‘RIVA 128 चिप’ ने आकार लिया। चार महीने में ही इसकी दस लाख यूनिट्स बिक गई और इसके बाद फिर कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तब से ‘हमारी कंपनी दिवालिया होने से सिर्फ तीस दिन दूर है’ हुआंग का मंत्र बन गया। यानी हमेशा अलर्ट मोड में रहना।
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