थाईलैंड में 900 साल पुराने मंदिर के लिए युद्ध

थाईलैंड में 900 साल पुराने मंदिर के लिए युद्ध
थाईलैंड और कबोडिया के बीच सीमा विवाद एक बार फिर खूनी जंग में बदल गया। बुधवार को दोनों देशों की सीमा पर तैनात एक थाई सैनिक विस्फोट में घायल हो गया। यह विस्फोट वहां हुआ, जहां मई माह से दोनों देशों की सेनाएँ आमने-सामने तैनात थीं। थाईलैंड ने विस्फोट का आरोप कंबोडिया परलगाया और इसे ‘पूर्व नियोजित’ करार दिया। इसके बाद थाई अधिकारियों ने गुरुवार को दावा किया कि कंबोडियाई सेना ने थाईलैंड के 4 सीमावर्ती प्रांतों(सुरिन, सिसाकेत, बुरीराम और उद्दोन थानी) में रॉकिट दागे। इसमें 11 थाई नागरिकों और एक सैनिक की मौत हो गई। लोगों बंकरों में शरण लेनी पड़ी।
थाई वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने कंबोडिया पर हमले किए। इन हमले के चलते दोनों देशों के बीच संबंध बेहद खराब हो गए। थाईलैंड ने कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया औरशसभी बॉर्डर चेक पाइंट बंद कर दिए। कंबोडिया ने भी बैंकॉक स्थित अपना दूतावास खाली कर दिया। कंबोडिया ने 5 हजार और थाईलैंड ने 40 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा है।
इस पूरे विवाद की जड़ डंगरेक पहाड़ियों में स्थित 900 साल पुराना शिव मंदिर (प्रासात तामुएन) है। दोनों देश इस पर अपना अधिकार जताते हैं। मंदिर भले ही थाईंलैंड के अभी नक्शे में आता हो,लेकिन कंबोडिया इसे अपनी धरोहर मानता है।
थाईलैंड-कंबोडिया ने एक-दूसरे पर पहले गोलीबारी का आरोप लगाया
कंबोडिया के पीएन हुन सेन ने संघर्ष की पूरी जिम्मेदारी थाई सेना पर डालते हुए कहा कि थाई सैनिकों ने मंदिर को बंद करवाया और पहले गोली चलाई। कंबोडिया को अपनी भूमि की रक्षाके लिए मजबूरन जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। राजनीतिक संकट के चलते निलंबित थाईपीएम पैटोंगटार्न शिनवात्रा ने सोशल मीडिया परलिखा कि कंबोडियाई सेना ने ही सबसे पहले गोलियां चलाई, जिससे नागरिकों की जान गई ।
एमराल्ड ट्रायंगल
फ्रांस की वजह से शुरू हुआ था विवादः थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमाओं के संगम को ‘एमराल्ड ट्रायंगल’ कहते हैं।1904 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक प्रशासन ने ‘फ्रेंको-सियामी सांधि के तहत बॉर्डर मार्किंग के लिए डॉंगरेक पर्वत को आधार बनाया था।1907 में जब फ्रांसीसी सर्वेक्षकों ने नक्शा तैयार किया, तो उन्होंने प्रीहविहार मंदिर को कंबोडिया में दिखाया। इसके अलावा 900 साल पुरानेशिव मंदिर (प्रासात ता मुएन) को थाईलैंड की सीमा के बताया, जिसपर कंबोडिया ने अपना दावा जताया। यहीं से यह विवाद शुरू हुआ।
आईसीजे ने विवाद शांत करायाः 1959 में कंबोडिया ने प्रीहविहार मंदिर का मामला आईसीजे में उठाया था। 1962 में कोर्ट ने इसे कंबोडिया का हिस्सा माना। थाईलैंड ने आईसीजे का फैसला मानलिया लेकिन मेंदिर के आसपास की सीमाओं पर विवाद बरकरार रहा।हालांकि, 2011में आईसीजे ने फिर अपने पुराने फैसले को दोहराया।
यूनेस्को के चलते विवाद फिर भड़काः 2008 में कंबोडिया ने प्रीह विहार मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित करवाया, तो थाईलैंड ने इसका विरोध किया । इसके बाद सीमा पर सैन्य तनाव बढ़ा।
2011 में एक हफ्ते चली थी जंगः इस विवाद को लेकर हफ्तेभर की लड़ाई में 15 लोग मारे गए और 36 हजार विस्थापित हुए।
अब मई 2025 से आमने-सामने हैं सेनाएं: 28 मई 2025 को झड़प में कंबोडियाई सैनिक की मौत से तनाव बढ़ा। थाईलैंड की पी एम पैटोंगटार्न शिनवात्रा ने 15 जून को कंबोडिया के पीएम हुन सेन से संबंध सुधारने के लिए बात की। ये निजी कॉल लीक होने के बाद शिनवात्रा के खिलाफ देशभर में आक्रोश फैल गया। थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने1 जुलाई को शिनवात्रा को निलंबित किया। अब 23 जुलाई को थाई सैनिक का लैंड माइंड से पैर उड़ा, इसके चलते युद्ध भड़क गया।
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