लोनार झील में 3 महीने में 9 मीटर बढ़ा पानी… वैज्ञानिक हैरान
महाराष्ट्र में उल्कापिंड से बेसाल्ट चट्टानों में बनी दुनिया की एकमात्र झील में बढ़ते जलस्तर पर वैज्ञानिक हैरान ….रहस्य… लोनार झील में 3 महीने में 9 मीटर बढ़ा पानी
अल्कली बेसाल्ट चट्टान में बनी दुनिया की एकमात्र लोनार झील एक बार फिर बड़े रहस्य में घिर गई है। महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित इस झील का पानी साल 2020 में अचानक गुलाबी हो गया था। लेकिन, यहां अब जो हो रहा है, उससे देश के पर्यावरण और झील एक्सपर्ट भी हैरान हैं। दरअसल, अक्टूबर 2025 से अब तक झील का पानी 9 मीटर तक बढ़ चुका है। इससे सरोवर किनारे स्थित कमलजादेवी मंदिर के अलावा आसपास मौजूद सैकड़ों साल पुराने करीब 8 मंदिर डूब चुके हैं। मंदिर तक जाने के रास्ते जलमग्न हैं।
लोनार के लोग हैरान हैं, क्योंकि बीते सौ साल में उन्होंने झील में ऐसा कभी कुछ नहीं देखा था। आईआईटी बॉम्बे और महाराष्ट्र के पर्यावरण एक्सपर्ट, भूवैज्ञानिक झील का बार-बार निरीक्षण कर रहे हैं। पानी के नमूने जांच रहे हैं, क्योंकि उनके सामने भी ऐसा कोई मामला पहली बार सामने आया है। करीब 52 हजार साल पहले अंतरिक्ष से एक विशालकाय उल्कापिंड के गिरने से यह झील बनी थी, जिसका पानी किनारे पर मीठा, अंदर खारा है। अब पानी का खारापन कम हो रहा है। इसका पीएच स्तर जो 2022 में 10-11 था, वो अब तक 8-9 है।पीएच लेवल पानी में खारापन बताता है।
8 मंदिर डूबे, गर्भगृह तक पानी…
स्कूली बच्चे पिकनिक मनाने पहुंच रहे पानी इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा, झील के पास 25 हजार की आबादी वाला लोनार गांव है, जो पानी वाले इलाके से करीब साढ़े चार किमी दूर ऊंचाई पर है। लोनार संरक्षण विकास समिति के पूर्व सदस्य पी. गजानन खराते बताते हैं कि कमलजादेवी मंदिर अब 15 फीट पानी में है और पानी गर्भगृह तक पहुंच गया है। इससे पहले कभी पानी मंदिर की सीढ़ियों तक भी नहीं गया। कई वैज्ञानिक आकर देख चुके हैं, लेकिन पानी बढ़ने का कारण समझ नहीं आ रहा। इस प्राकृतिक चमत्कार को अनुभव करने के लिए रोज सैकड़ों देसी-विदेशी पर्यटक यहां आ रहे हैं। राज्यभर से स्कूली बच्चों को पिकनिक के लिए यहां लाया जा रहा है। ये सभी जंगल के बीच से नया रास्ता.बनाकर यज्ञेश्वर और रामगया तक पहुंच रहे हैं। भास्कर टीम को पुणे के डेक्कन कॉलेज, जलगांव के भड़गांव के छात्र सभी इसी रास्ते से सरोवर तक जाते मिले। सभी यह रहस्य अपनी आंखों से देखना चाहते हैं कि झील का पानी अचानक इतना कैसे बढ़ गया ?
सीएसआईआर-नीरी नागपुर में रहे डॉ. गजानन खडसे ने बताया कि 2020 में हमने पानी के नमूनों पर शोध किया था। तब वाष्पीकरण और बढ़ती लवणता के कारण पानी के रासायनिक गुणों में बदलाव दिखा था। अब जलस्तर बढ़ने की बात है। बारिश के अलावा पानी का वहां कोई दूसरा स्त्रोत नहीं है। इसलिए गहन शोध की जरूरत है।
निर्माण स्मिथसोनियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ वाशिंगटन, जियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया और यूनाईटेड स्टेट जिओलोजिकल सर्वे ने लगभग 20 वर्ष पहले किए गए एक साझा अध्ययन में इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण मिले थे कि लोनर कैटर का निर्माण पृथ्वी पर उल्का पिंड के टकराने से ही हुआ था। मंगल ग्रह सरीखे दृश्य दिखाने वाली यह झील अन्तरिक्ष विज्ञान की उन्नत प्रयोगशाला भी है, जिस पर समूचे विश्व की निगाह है। अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा का मानना है कि बेसाल्टिक चट्टानों से बनी यह झील बिलकुल वैसी ही है, जैसी झील मंगल की सतह पर पायी जाती है, यहाँ तक कि इसके जल के रासायनिक गुण भी मंगल पर पायी गयी झीलों के रासायनिक गुणों से मिलते जुलते हैं। ऊँची पहाड़ियों के बीच लोनार के शांत पानी को देखने पर यहाँ घटी किसी बड़ी प्राकृतिक घटना का एहसास होने लगता है।