क्या हैं स्पीड ब्रेकर बनने के नियम
स्पीड ब्रेकर
देश में सड़कों के निर्माण और वर्गीकरण के लिए विभिन्न मानकों और वर्गों का उपयोग किया जाता है। देश भर में 6 प्रकार की सड़के बनाई जाती हैं, जिनमें,ग्रामीण सड़क (वीआर), अंडर डिस्ट्रिक्टरोड (ओडीआर), मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड(एमडीआर), स्टेट हाइवे (एसएच) और नेशनल हाइवे (एनएच) शामिल हैं। इन सभी सड़कों पर वाहनों की गति को
रोकने व हादसों पर नियंत्रण करने के लिए स्पीड बंप, स्पीड हंप व रंबल स्ट्रिप, स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं। सड़क निर्माण करने वाली कंपनियाँ बजट के अनुसार सीमेंट ,डामर, रबर के स्पीड ब्रेकर भी बनाती हैं, लेकिन इसका निर्माण कार्य आंतरिक राजस्व संहिता (आईआरसी 99) के आधार पर होता है। एक्सप्रेस – वे पर स्पीड ब्रेकर नहीं बनाए जाते हैं।

तय लोकेशन पर बनाए जाते हैं
स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए कुछ तय लोकेशन होती हैं, जैसे कि हल रोड,ढाल वाली सड़कें और कर्व से पहले। स्पीड ब्रेकर की दूरी के आधार पर वाहनों की गति को नियंत्रित किया जा सकता है। स्पीड ब्रेकर 40-60 मी. के बीच हैं, तो वाहनों की गति 25-30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से रहती है। यदि स्पीड ब्रेकर 100 मी. या इससे ज्यादा की दूरी पर हैं, तो वाहनों की गति को 50 किमी प्रति घटे की रफ्तार में लाया जा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि नगर निगम सहित अन्य एजेंसियां मानक के अनुरूप स्पीड ब्रेकर बनाएं, ताकि गैरमानक गति अवरोधों के कारणों से हो रही दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई
सड़क निर्माण करने वाली कंपनियों 75 या100 मिमी का स्पीड ब्रेकर बनाती हैं। स्पीड ब्रेकर सामान्य सड़क की चौड़ाई के बराबर होता है और जरूरत के हिसाब से इसे शोल्डर तक बढ़ाया जा सकता है। शोल्डर स्पीड ब्रेकर का उपयोग शैक्षणिक संस्थान,अस्पताल या फिर दुर्घटना प्रभावित क्षेत्र में किया जाता है। इसके अलावा टी तिराहे, सर्पशकवर, बिना डिवाइडर वाली सड़क पर बनाए जाते हैं, ताकि हादसों पर लगाम लगाई जा सके। हालांकि, शहर में कई ऐसी जगहें हैं,जहाँ स्पीड ब्रेकर बनाए ही नहीं गए हैं या फिर शोल्डर तक नहीं बनाए गए हैं। इससे वाहन चालक स्पीड से वाहन निकालते हैं और बैलैंस बिगड़ने से दुर्घटना शिकार हो जाते हैं।
समझें..स्पीड ब्रेकर
कितनी कम होती है वाहन की रफ्तार..
‘स्पीड बंप’ स्पीड ब्रेकर का उपयोग आमतीर पर पार्किंग स्थल, रेसीडेंशियल एरिया और दुर्घटना प्रभावित क्षेत्र में किया जाता है। इसकी ऊंचाई 75-100 मिमी और लंबाई 300-900 मिमी होती है। यह ब्रेकर वाहनों की गति को 30 किमी प्रति घटे की रफ्तार से कम कर देते हैं। यह ब्रेकर यू आकार का होता है। इसे स्टेट हाइवे व नेशनल हाइवे पर बना दे तो वाहन और चालक दोनों को नुकसान होता है।
‘स्पीड हंप’ में कम रहती है दुर्घटना की आशंका.
स्पीड हंप’ का उपयोग ज्यादा ट्रैफिक वाले स्थान और खासतौर पर पैदल चलने वाले स्थान पर बनाया जाता है। इसकी लंबाई 3 मी से 9.5 मी. तक हो सकती है, जबकि चौड़ाई 11 से113 मी. तक हो सकती है। यह ‘गोलाकार’ होते हैं। इस ब्रेकर से दुर्घटना की आशंका कम रहती है और वाहन को भी नुकसान नहीं होता है।
इससे वाहनों का शोर होता है और ड्राइवर बाइब्रेट करता है। यदि कंपनी यह बनाती भी है तो इसका निम्माण 5-10 क्रमांक तक लगभग 100 मीटर के अंतर में किया जाता है। इसकी हाइट10 सेमी और चौड़ाई 24 सेमी होती है।
स्पीड ब्रेकर पर ब्लैक एंड व्हाइट पेंट जरूरी
स्पीड ब्रेकर पर वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए ब्लैक एंड व्हाइट कलर का पेंट किया जाताहै, ताकि रात में भी दिखाई दें। इसके साथ ही वार्निंग का साइन बोर्ड भी लगाया जाता है, ताकि वाहनचालक को फहले से स्पीड बरेकर की जानकारी मिल सके, लेकिन निर्माण कंपनी स्पीड ब्रेकर कावानिंग बोर्ड बहुत कम जगह पर लगाती हैं या लगाती ही नहीं है। इससे वाहन चालकों को परेशानीहोती है और उनहें अनजाने में स्पौड ब्रेकर से गुजरना पड़ता है, जिससे वाहन को नुकसान हो सकताहै या दुर्घटना भी हो सकती है।
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