‘अंतरिक्ष प्रयोगशाला’ योजना क्या है ?

‘अंतरिक्ष प्रयोगशाला’ योजना क्या है ?

देश की स्पेस इकोनॉमी 2033 तक 71,600 करोड़ रु. से बढ़कर 2.15 लाख करोड़ होने का अनुमान है। इस तेज वृद्धि को संभालने के लिए देश को भारी संख्या में प्रशिक्षित स्किल्ड प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ेगी। इसी दिशा में इनस्पेस (INSPACE) ने ‘अंतरिक्ष प्रयोगशाला’ योजना पेश की है।

# अंतरिक्ष प्रयोगशाला की जरूरत क्यों?

यह एक हाई-टेक स्पेस लैब है। यहां उपग्रह, मिशन डिजाइन, स्पेस इंजीनियरिंग, एंटेना सिस्टम और
सिम्युलेशन जैसे प्रैक्टिकल मॉड्यूल को छात्र सीख सकेंगे। इनस्पेस के प्रमोशन डायरेक्टर विनोद कुमार कहते हैं, ‘येbलैब भारत में स्पेस टैलेंट का मजबूत पाइपलाइन तैयार करेंगी।’ 40 से अधिक विश्वविद्यालय अंतरिक्ष तकनीक पर कोर्स चल रहे हैं। ये लैब प्रैक्टिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर करेंगी।

# किन संस्थानों को यह स्पेस लैब मिलेगी ?

प्रस्ताव के अनुसार, भारत को सात जोन में बांटा गया है और प्रत्येक जोन से एक संस्था चुनी जाएगी। शर्त ये होगी कि संस्थान कम से कम 5 साल पुराना होएनआईआरएफ रैंकिंग में टॉप 200 में हो। अंतरिक्ष तकनीक पर पाठ्यक्रम चलता हो।

# छात्रों को इन लैबों से क्या मिलेगा?

यह लैब्स छात्रों को हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग, उपग्रह असेंबली, फ्लाइट कंप्यूटर, टेस्टिंग फैसिलिटीज और मिशन सिम्युलेशन का मौका देंगी। प्रशिक्षण लेने वाले अंतरिक्ष क्षेत्र में नौकरी के साथ ही स्टार्टअप शुरू करने की क्षमता भी विकसित करेंगे। इसरो की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्पेस आरएंडडी प्रशिक्षित मानव संसाधन की भारी कमी है। ये लैबें इसे दूर करेंगी।

# इससे उद्योग – अकादमिक सहयोग कैसे बढ़ेगा?

भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के स्पेस इंजीनियरिंग विशेषज्ञ प्रो. आर नारायणन के अनुसार, यदि छात्रों को उद्योग के वास्तविक प्रोजेक्ट्स में शुरुआती  एक्सपोजर मिले, तो भारत का निजी स्पेस सेक्टर वैश्विक स्तर पर तेजी से उभर सकता है।’ अंतरिक्ष प्रयोगशाला देश को ग्लोबल स्पेस इकोनॉमी के टॉप-5 देशों में लाने की दिशा में बड़ा निवेश माना जा रहा है

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