अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
क्षेत्रफल- 8,249 वर्ग किमी.,3,56, 152,
पुरुष- 1,92,972,
महिलाएं- 1,63, 180,
राजधानी- पोर्ट ब्लेयर,
भाषाएं- बंगाली, हिन्दी, निकोबार, तमिल, तेलुगू एवं मलयालम,
जनसंख्या घनत्व- 43 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी.,
राज्य पशु- केकड़ा , भक्षी वानर,
राज्य पक्षी- मेगापोड,
राज्य दिवस- 11 मार्च,
लिंगानुपात- 846 महिलाएं /1000 पुरुष पर,
साक्षरता दर- 81.3 प्रतिशत, पुरुष- 86.3, महिलाएं- 75.2,
जिले- कुल- 3, शहरी जनसंख्या- 32.6 प्रतिशत, गांव-
577, कस्बे- 3, शिक्षा- स्कूल- 356, महाविद्यालय-
3, उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र- अंडमान-
निकोबार द्वीप समूह कोलकाता उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में है।
भौगोलिक स्थिति
यह प्रदेश 6° और 14° उत्तरी अक्षांश और 92° और 94° पूर्वी देशान्तर में स्थित है। यह 572 द्वीपों का समूह बंगाल की खाड़ी में स्थित है। म्यांमार के नेगरिस अंतरीप से 193 किमी, कोलकाता से 1,255 किमी. एवं चेन्नई से 1,190 किमी दूर है। यहां आबादी वाले कुल 36 द्वीप हैं, जिनमें 24 अंडमान में एवं 12 निकोबार जिले में हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इस द्वीप समूह के मूल निवासी जंगलों में निवास करते थे। ये लोग मछलियां पकड़कर अपना पेट पालते थे। अंडमान के द्वीप समूहों में महा अंडमानी, ओगे, जरवा और सेंटीनली नाम की चार निग्रटों जातियां एवं निकोबार द्वीप समूह में निकोबारी तथा शोमपेन नाम की दो मंगोलाइड जातियां हैं।
इनमें सेंटीनली अभी भी आक्रामक एवं शत्रुतापूर्ण रवैया रखती हैं। यह जाति अभी भी ठीक से अपनी देह को ढकना नहीं सीख पाई है।
राज्य का आधुनिक इतिहास सन् 1789 हुआ। हालांकि 1796 में बस्ती छोड़ दी गई। 1857 में हुए प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद 1858 में ब्रिटिश सरकार ने इन द्वीपों को काला पानी की सजा भुगतने वाले लोगों के लिए इस्तेमाल किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में अंडमान एवं निकोबार पर जापानी सेनाओं ने अधिकार कर लिया। 1945 में ब्रिटिश (भारतीय) सरकार
ने जापानी सेनाओं के समर्पण के बाद इन द्वीपों पर पुनः अधिकार कर लिया और 1947 में भारत के स्वतंत्र होने में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बस्ती की स्थापना के बाद शुरू तक यहां का शासन चलाया। 1947 के बाद यह एक संघ शासित क्षेत्र बन गया। 1 नवम्बर, 1956 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एक संघ शासित प्रदेश बना एवं इसके प्रशासन का अधिकार भारत के राष्ट्र पति को सोंप दिया गया।
आर्थिक स्थिति
प्रदेश में धान, नारियल, दालें, तिलहन, सब्जियां, मसाले, आम, केला, संतरा, नारियल, सुपारी, अन्ननास, पपीता, काजू व ताड़ का उत्पादन किया जाता है। यहां पर फन्नीचर बनाना, बेकरी कार्य, गेहूं पिसाई, तिलहनों की पेराई, मछली पालन प्रमुख उद्योग हैं। द्वीपों के कुल क्षेत्र का लगभग 7, 171 वर्ग किमी. भाग वनों से ढका है।
परिवहन
इन द्वीपों पर सडकों की कुल लम्बाई 1,180 एवं राष्ट्रीय राजमार्गे की लम्बाई 300 किमी. है। देश के शेष हिस्से से आवागमन के मात्र दो साधन वायु व जल मार्ग हैं ।
जिला मुख्यालय
उत्तरी व मध्य अंडमान मायाबंदर
दक्षिण अंडमान पोर्टब्लेयर
निकोबार। कार निकोबार
पोर्ट ब्लेयर एकमात्र हवाई अड्डा है मुख्य बंदरगाह पोर्ट , पोर्ट कार्नवालिस, एलिफिस्टिन, मायाबंदर में स्थापितहैं । निकोबार में नानकीवटी बंदरगाह है ।
शासन व्यवस्था
इस केन्द्र शासित प्रदेश का शासन राजभानी पोर्ट ब्लेयर स्थित मुख्यालय से उप राज्यपाल द्वारा किया जाता है । प्रदेश से लोकसभा के लिए एक ही सांसद का निर्वाचन होता है।
पर्यटन स्थल
यह पर्यटन का स्वर्ग कहलाता है। यहां की सेल्यूलर जेल राष्ट्रीय स्मारक, मैरीन अजायबघर, चिड़िया टापू, काबिन की छोटी खाड़ी,बच्चों का यातायात पार्क, गांधी पार्क, महात्मा गांधी मैरीन राष्ट्रीय पार्क, रौस द्वीप, बाइपर द्वीप, नील द्वीप एवं दिगलीपुर सहित अन्य पर्यटन स्थल हैं।
विशेष
दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव (संघ राज्य क्षेत्रों का विलय) अधिनियम,2019
31 अक्टूबर, 2019 से जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रभावी होने के पश्चात भारत में राज्यों की संख्या 28 एवं केंद्रशासित प्रदेशों की सख्या 9 हो गई थी। हालिया घटनाक्रम मे केंद्र सरकार ने दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव केंद्रशासित प्रदेशों का आपस में विलय करने हेतु एक विधेयक संराद में प्रस्तुत
किया, जिसने संसद द्वारा पारित होने एवं राष्ट्रपति द्वारा सहमति प्रदान किए जाने के पश्चात अधिनियम का रूप ग्रहण कर लिया है।
वर्तमान
26 नदंबर, 2019 को गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोक सभा में दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव (संघ राज्य क्षेत्रों का विलय) विधेयक, 2019 प्रस्तुत किया गया थ।
इस विधेयक को लोक सभा द्वारा 27 नवंबर, 2019 को एवं राज्य सभा द्वारा 3 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया।
राष्ट्रपति द्वारा 9दिसंबर, 2019 को इस विधेयक को सम्मति प्रदान किए जाने के पश्वात यह अधिनियम के रूप में परिचर्तित हो गया।
दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव (संघ राज्य क्षेत्रों का विलय) आधिनियम, 2019 वे उपबंध (Provisions) 26 जनवरी, 2020 से । प्रभावी हो गए।
दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव की राजधानी के रूप में ‘दमन’।को निर्दिष्ट किया गया है।
उद्देश्य
वर्तमान सरकार की “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन ” की नीति के ध्यानांतर्गत दोनों संघ राज्य क्षेत्रों की कम जनसंख्या और सीमित भौगोलिकक्षेत्र पर विचार करते हुए
दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव संघ राज्य क्षेत्रों का एकल संघ राज्य क्षेत्र के रूप में विलय करने का निर्णय लिया गया।
* यह मुख्यतः निम्नलिखित उद्देश्यों से प्रेरित है-
(i) कार्य दक्षता बढ़ाकर एवं कागजी कार्य में कमी लाकर दोनों
संघ राज्य क्षेत्रों के नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना
(ii) प्रशासनिक व्यय में कमी लाना
(iii) नीतियों और योजनाओं में एकरूपता लाना
(iv) योजनाओं और परियोजनाओं की बेहतर निगरानी
(v) विभिन्न कर्मचारियों के कैडर (Cadre) का उचित प्रबंधन
विशेषताएं
संविधान में संशोधन इस अधिनियम के द्वारा रंविधान की पहली अनुसूची (First Schedule) में संशोधन किया गया।
》 ध्यातव्य है कि रांविधान की पहली अनुसूची विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को
निर्दिष्ट करती है।
》 इसमें रांशोधन कर दो केंद्रशासित.प्रदेशों-(क) दादरा और नागर हवेली.तथा (ख) दमण और दीव के क्षेत्रों का आपस में विलय कर दिया गया।
》विलय के पश्चात “दादरा और.नागर हवेली तथा दगण और दीव” एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है ।
》वर्तमान समय में भारत मे 28 राज्य एवं 8 केंद्र ासित प्रदेश हैं। ध्यातव्य है कि संविधान के अनुच्छेद 240(1) के तहत राष्ट्रपति को अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दादरा और नागर हवेली, दमण और दीव तथा पुडुचेरी केंद्रशासित प्रदेशों के लिए विनियम बनाने की शक्ति प्राप्त है।
》अधिनियम के द्वारा अब इस अनुच्छेद में संशोधन कर दो
अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशो के रूप में दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव को एक केंद्रशासित प्रदेश से
प्रतिस्थापित किया जाएगा।
लोक सभा में प्रतिनिधित्व यह अधिनियम जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की पहली अनुसूची में संशोधन का प्रावधान करता है।
》 जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अनुसार, दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव प्रत्येक हेतु लोक सभा में
एक-एक सीट का प्रावधान है।
》जबकि अधिनियम, 2019 के अनुसार, दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव केंद्रशासित प्रदेश के लिए लोक सभा के दो स्थान आवंटित रहेंगे।
उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार अधिनियम, 2019 के अनुसार, दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव केंद्रशासित प्रदेश बॉम्बे उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत रहेगा। ध्यातव्य है कि बॉम्बे उच्च न्यायालय के अंतर्गत महाराष्ट्र एवं गोवा राज्य भी आते हैं।
दमण और दीव
दमण और दीव (पूर्व केंद्रशासित प्रदेश) में दो जिले नामत: दमण एवं दीव शामिल हैं।
दीव गुजरात स्थित वेरावल बंदरगाह के निकट है। दीव दो पुलों के माध्यम से मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है।
दमण जिला, मुंबई से लगभग 200 किमी. उत्तर में स्थित है। यह उत्तर, पूर्व एवं दक्षिण में गुजरात राज्य के वलसाड़ जिले से घिरा हुआ है।
नासिक से आने वाली दमण गंगा नदी दमण जिले के मध्य से गुजरती है तथा इसे दो भागों-मोती दमण और नानी दमण में बांटती है।
19 दिसंबर, 1961 को दमण और दीव पुर्तगाली शासन से स्वतंत्र हुआ था। वर्ष 1961 से 1987 तक दमण और दीव, “गोवा, दमण और दीव केंद्रशासित प्रदेश” का भाग था।
56वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 द्वारा गोवा को पूर्ण। राज्य एवं दमण और दीव को पृथक केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
दादरा और नागर हवेली
दादरा और नागर हवेली पर जून, 1783 में पुर्तगालियों ने अधिकार कर लिया था। 2अगस्त, 1954 को दादरा और नागर हवेली को पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
वर्ष 1954-1961 तक इसका प्रशासन एक नागरिक परिषद, जिसका नाम स्वतंत्र दादरा और नागर हवेली वरिष्ठ पंचायत था, द्वारा किया गया था।
वर्ष 1961 में इसे भारत गणराज्य में समाहित कर एक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। भौगोलिक रूप से दादरा और नागर हवेली 491 वर्ग किमी. क्षेत्र के मे विस्तृत है। यह उत्तर में गुजरात एवं दक्षिण में
महाराष्ट्र।मध्य स्थल अवरुद्ध (Land Locked) क्षेत्र है।
राज्य क्षेत्र के स्थापना एवं विलय के संबंध में
संवैधानिक प्रावधान भारतीय संविधान के भाग-1 में अनुच्छेद । से अनुच्छेद 4 तक।संघ और उसके राज्य क्षेत्र के संबंध में प्रावधान है। अनुच्छेद 2 के अंतर्गत भारतीय संघ में नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना का अधिकार संसद को प्राप्त है। संसद, विधि द्वारा ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।
अनुच्छेद 3 के अंतर्गत संसद नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यो के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन कर सकती है। संसद विधि द्वारा
(क) किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर या किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी।
(ख) किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी।
(ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी।
(घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन क९ सकेगी।
(ङ) किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी।
संसद साधारण बहुमत से नए राज्यों का निर्माण कर सकती है।।इस हेतु निमित विधि को अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संविधान का संशोधन नहीं समझा जाएगा।
पहली अनुसूची में राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों का वर्णन किया गया है।
अनुच्छेद 4 के अंतर्गत पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के।संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियों का उल्लेख है।