कॉरपोरेट गवर्नेस
कॉरपोरेट गवर्नेस
हर कॉरपोरेट गवर्नेस पर कोटक महिंद्रा बैंक के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में गठित उदय कोटक समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कॉरपोरेट इंडिया, स्टॉक एक्सचेंज, व्यावसायिक निकाय, निवेशक समह, वाणिज्य मंडल, कानून फर्म, शिक्षाविद् और अनुसंधान पेशेवर और सेबी के अधिकारियों के प्रतिनिधि शामिल थे।
बाज़ार नियामक ‘भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड’- सेबी ने जून में कोटक महिंद्रा बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक उदय कोटक की अध्यक्षता में कॉरपोरेट प्रशासन पर एक समिति का गठन किया था। सेबी ने इस समिति का गठन निम्न मुद्दों से संबंधित सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिये किया था। इस समिति का मुख्य उद्देश्य सूचीबद्ध कंपनियों के कॉरपोरेट प्रशासन के मानकों में सुधार के लिये सुझाव देना था।
स्वतंत्र निदेशकों की स्वायत्तता सुनिश्चित करने व कंपनी के कामकाज में उनकी प्रभावी भागीदारी के संबंध में; कंपनियों द्वारा किये गए वित्तीय लेन-देन में पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय अपनाने एवं पारदर्शिता बरकरार रखने के संबंध में; कंपनियों के लेखांकन व लेखा परीक्षण से संबंधित मुद्दों पर; कपनियों की सामान्य बैठकों में निवेशकों द्वारा भागीदारी और मतदान से जुड़े मुद्दों इसी वर्ष अप्रैल माह में सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के कॉरपोरेट प्रशासन पर विस्तृत नियमों एवं दिशा-निर्देशों का अनावरण किया था। सेंबी इन नियमों को नए कंपनी अधिनियम के साथ साम्यता बनाए रखने के लिये लोगू करना चाहती है।
सुझाव भूमिकाओं का पृथक्करण सूचीबद्ध कंपनियों में चेयरमैन व प्रबंध निदेशक की भूमिका अलग-अलग होनी चाहिये।
अध्यक्षता केवल गैर-कार्यकारी निदेशकों के लिये सीमित की जानी चाहिये।
40% से अधिक सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ सूचीबद्ध कंपनियो को 1 अप्रैल, 2020 से अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक की भूमिका अलग-अलग करनी चाहिये।
बोर्ड बोर्ड के सदस्यों की संख्या में न्यूनतम 6 की वृद्धि की जानी चाहिये। इनमें एक महिला को स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिये। एक वर्ष में कम-से-कम 5 बोर्ड मीटिग्स (वर्तमान में 4 ) का संचालन किया जाना चाहिये। कंपनियों को वर्ष में कम-से-कम 1 बार उत्तराधिकार योजना व जोखिम प्रबंधन पर मीटिंग करनी चाहिये।
स्वतंत्र निदेशक सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड सदस्यों में से कम-से-कम आधे स्वतंत्र निदेशक होने चाहिये। 75 वर्ष से अधिक उम्र के गैर-कार्यकारी निदेशकों के लिये सार्वजनिक शेयरधारकों की मंजूरी लेनी होगी।
नकदी प्रवाह विवरण सभी सूचीबद्ध कंपनियों को हर 6 माह में नकदी प्रवाह विवरण देना चाहिये। सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा त्रैमासिक समेकित आय का प्रकटीकरण अनिवार्य रूप से होना चाहिये। न्यूनतम पारिश्रमिक स्वतंत्र निदेशक के लिये न्यूनतम वेतन 5 लाख वार्षिक व प्रत्येक बोर्ड बैठक के लिये 20,000-50,000 बैठक शुल्क तय किया गया है। प्रवर्तक के परिवार से ही कार्यकारी निदेशक होने पर, यदि उसका वार्षिक वेतन १5 करोड़ से अधिक अथवा कंपनी के शुद्ध लाभ का 2.5% होने पर सार्वजनिक शेयरधारकों से इसकी अनिवार्यंतः मंजूरी लेनी होगी।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड
. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति बाज़ार का शीर्ष नियामक निकाय है । इसकी स्थापना वर्ष 1988 में की गई थी। एवं इसे 1992 के सेबी एक्ट द्वारा विधिक दर्जा प्रदान किया गया था। इसका मुख्यालय मुबई, महाराष्ट्र में स्थित है।
* इसका उद्देश्य प्रतिभूतियों के संबंध में निवेशकों के हितों की रक्षा करना, प्रतिभूति बाज़ार के विकास को बढ़ावा देना और प्रतिभूति बाज़ारों को विनियमित करना है। यह शेयर बाजारों में स्व-नियामक व्यवहारों को बढ़ावा देता है, विनियमन करता है तथा इन बाज़ारों में धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर रोक लगाता है।