दादरा और नागर हवेली ,दमन और दीव
दादरा और नागर हवेली
क्षेत्रफल- 491 वर्ग किमी.,
जनसंख्या- 2,20,490,
पुरुष- 1,21,666,
महिलाएं- 98, 824,
राजधानी- सिलवासा,
मुख्य भाषाएं- गुजराती, हिन्दी, मराठी एवं अंग्रेजी,
उच्च न्यायालय- मुंबई, शहरी
जनसंख्या- 22.9 प्रतिशत,
जनसंख्या घनलत्व- 449
व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.
लिंगानुपात- 812/1000 पुरुष
पर, साक्षरता दर- 57.6 प्रतिशत, पुरुष- 71.2 प्रतिशत,
महिलाएं- 40.2 प्रतिशत, जिला- कुल एक, गांव- 70, कस्बे- 2, शिक्षा- स्कूल- 236, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय नहीं हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मराठों एवं पुर्तगालियों के मध्य लम्बे संघर्ष के बाद 17 दिसम्बर, 1779 को मराठा सरकार ने मित्रता सुनिश्चित करने की खातिर इस प्रदेश के कुछ गांवों को 12,000 रुपए की राजस्व क्षतिपूर्ति के तौर पर पुर्तगालियों को सौंप दिया। इसे 2 अगस्त, 1954 में मुक्ति मिली। तब तक पूर्तगालियों ने शासन किया 1954 से 1961 तक यह प्रदेश लगभग स्वतंत्र रूप से काम करता रहा, जिसे ‘स्वतंत्र दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन’ ने चलाया परन्तु 11 अगस्त 1961 को यह राज्य भारतीय संघ में शामिल हो गया तब से भारत सरकार, केन्द्र शासित प्रदेश के रूप में इसका प्रशासन चला रही है।
भौगोलिक एवं आर्थिक स्थिति
दादरा एवं नगर हवेली मुख्य रूप से ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्र है। इसमें करीब 79 प्रतिशत आदिवासी लोग निवास करते हैं। गुजरात एवं महाराष्ट्र से घिरे इस क्षेत्र के दो अलग-अलग क्षेत्र हैं- दादरा एवं नगर हवेली। राज्य में चावल, गेहूं, रागी, गन्ना, लीची, दालें, आम, चीकू एवं केला मुख्य फसलें हैं यहां सूती वस्त्र, इंजीनियरिंग का सामान, प्लास्टिक, इलेक्ट्रानिक सामान, टेक्सटाइल का निर्माण मध्यम एवं लघु उद्योगों में होता है।
परिवहन
सड़क की कुल लंबाई 580 किमी. है। मुख्य रेलवे स्टेशन सिलवासा से 18 किमी. दूर वापी में है। राज्य में हवाई अड्डा नहीं है।
शासन व्यवस्था
इस प्रदेश से लोकसभा के लिए सांसद ही निर्वाचित होता है । केंद्रीय व्यवस्था राज्य का संचालन करती है ।
पर्यटन स्थल
राज्य में ताड़केश्वर शिव मंदिर, वृंदावन, खानदवेल का हिरन पार्क, बाणगंगा झील, द्वीप उद्यान दादरा, वन ।
विहार, लघु विहार, बाल उद्यान, दादरा के चारों झील से घिरे पार्क सहित अन्य स्थल हैं। यहाँ काली पूजा, रक्षा बंधन, भावड़ा त्योहार मनाए जाते हैं।
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दमन और दीव
क्षेत्रफल- 112 वर्ग किमी.,
राजधानी- दमन,
जनसंख्या- 1,58,204, पुरुष- 92,512, महिलाएं- 65,692,
मुख्य भाषाएं- गुजराती, हिन्दी,
जिले- कुल दो,
शहरी जनसंख्या- 36.2 प्रतिशत,
उच्च न्यायालय- मुंबई उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है.
जनसंख्या घनत्व- 1,413 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.
लिंगानुपात- 710/1000 पुरुष पर,
साक्षरता दर- 78.2 प्रतिशत, महिलाएं- 65.6 प्रतिशत, पुरुष _6.8 प्रतिशत,
गांव- 23, कस्बे- 2,
धर्म- हिन्दू ईसाई,
शिक्षा- स्कूल-
100, महाविद्यालय- 2
भौगोलिक स्थिति
यह प्रदेश पूर्व में गुजरात, पश्चिम में अरब सागर
जिला मुख्यालय
दमन दमन
दीव दीव
उत्तर में कोलक नदी एवं दक्षिण में कलाई नदी से घिरा है। गुजरात का वलसाड, दमन का पड़ोसी जिला है। दीव दो। पुलों से जुड़ा हुआ एक छोटा द्वीप है। दीव का पड़ोसी। जिला, गुजरात का जूनागढ़ हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
दमन, दीव एवं गोवा देश की आजादी के बाद भी पुर्तगाल क अभीन रहे। 1961 में इन्हें भारत का हिस्सा बनाया गया। मई 1907 को गोवा को राज्य का दर्जा देने के बाद दमन दीव को अलग केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया। यह भारत का दूसरा सबसे छोटा राज्य है, पहले नम्बर पर लक्षद्वीप है।
आर्थिक स्थिति
राज्य में मुख्य फसलों में चावल, बाजरा, ज्वार, गेहूं, दलें, रागी, मुंगफली, नारियल, केला, बीन्स, गन्ना, आम का उत्पादन किया जाता है। इस प्रदेश में करीब 535 लघु आकार की औद्योगिक इकाइयां हैं। यहां के भीमपुर, डालेल एवं कदयिया प्रमुख औद्योगिक केन्द्र हैं।
परिवहन
दमन एवं दीव में सड़कों की लम्बाई 414 किमी. है। दमन के लिए वापी एवं दीव के लिए देलवाड़ा नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। हवाई अड्डे दमन एवं दीव दोनों में हैं।
शासन व्यवस्था
राज्य में केन्द्रीय प्रशासन के अधीन एक प्रदेश परिषद्शा सन करती है। प्रदेश से लोकसभा के लिए एक सांसद का निर्वाचन होता है।
प्रमुख पदाधिकारी:-प्रशासक ।
विशेष
दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव (संघ राज्य क्षेत्रों का विलय) अधिनियम,2019
31 अक्टूबर, 2019 से जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रभावी होने के पश्चात भारत में राज्यों की संख्या 28 एवं केंद्रशासित प्रदेशों की सख्या 9 हो गई थी। हालिया घटनाक्रम मे केंद्र सरकार ने दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव केंद्रशासित प्रदेशों का आपस में विलय करने हेतु एक विधेयक संराद में प्रस्तुत
किया, जिसने संसद द्वारा पारित होने एवं राष्ट्रपति द्वारा सहमति प्रदान किए जाने के पश्चात अधिनियम का रूप ग्रहण कर लिया है।
वर्तमान
26 नदंबर, 2019 को गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोक सभा में दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव (संघ राज्य क्षेत्रों का विलय) विधेयक, 2019 प्रस्तुत किया गया थ।
इस विधेयक को लोक सभा द्वारा 27 नवंबर, 2019 को एवं राज्य सभा द्वारा 3 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया।
राष्ट्रपति द्वारा 9दिसंबर, 2019 को इस विधेयक को सम्मति प्रदान किए जाने के पश्वात यह अधिनियम के रूप में परिचर्तित हो गया।
दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव (संघ राज्य क्षेत्रों का विलय) आधिनियम, 2019 वे उपबंध (Provisions) 26 जनवरी, 2020 से । प्रभावी हो गए।
दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव की राजधानी के रूप में ‘दमन’।को निर्दिष्ट किया गया है।
उद्देश्य
वर्तमान सरकार की “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन ” की नीति के ध्यानांतर्गत दोनों संघ राज्य क्षेत्रों की कम जनसंख्या और सीमित भौगोलिकक्षेत्र पर विचार करते हुए
दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव संघ राज्य क्षेत्रों का एकल संघ राज्य क्षेत्र के रूप में विलय करने का निर्णय लिया गया।
* यह मुख्यतः निम्नलिखित उद्देश्यों से प्रेरित है-
(i) कार्य दक्षता बढ़ाकर एवं कागजी कार्य में कमी लाकर दोनों
संघ राज्य क्षेत्रों के नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना
(ii) प्रशासनिक व्यय में कमी लाना
(iii) नीतियों और योजनाओं में एकरूपता लाना
(iv) योजनाओं और परियोजनाओं की बेहतर निगरानी
(v) विभिन्न कर्मचारियों के कैडर (Cadre) का उचित प्रबंधन
विशेषताएं
संविधान में संशोधन इस अधिनियम के द्वारा रंविधान की पहली अनुसूची (First Schedule) में संशोधन किया गया।
》 ध्यातव्य है कि रांविधान की पहली अनुसूची विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को
निर्दिष्ट करती है।
》 इसमें रांशोधन कर दो केंद्रशासित.प्रदेशों-(क) दादरा और नागर हवेली.तथा (ख) दमण और दीव के क्षेत्रों का आपस में विलय कर दिया गया।
》विलय के पश्चात “दादरा और.नागर हवेली तथा दगण और दीव” एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है ।
》वर्तमान समय में भारत मे 28 राज्य एवं 8 केंद्र ासित प्रदेश हैं। ध्यातव्य है कि संविधान के अनुच्छेद 240(1) के तहत राष्ट्रपति को अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दादरा और नागर हवेली, दमण और दीव तथा पुडुचेरी केंद्रशासित प्रदेशों के लिए विनियम बनाने की शक्ति प्राप्त है।
》अधिनियम के द्वारा अब इस अनुच्छेद में संशोधन कर दो
अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशो के रूप में दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव को एक केंद्रशासित प्रदेश से
प्रतिस्थापित किया जाएगा।
लोक सभा में प्रतिनिधित्व यह अधिनियम जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की पहली अनुसूची में संशोधन का प्रावधान करता है।
》 जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अनुसार, दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव प्रत्येक हेतु लोक सभा में
एक-एक सीट का प्रावधान है।
》जबकि अधिनियम, 2019 के अनुसार, दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव केंद्रशासित प्रदेश के लिए लोक सभा के दो स्थान आवंटित रहेंगे।
उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार अधिनियम, 2019 के अनुसार, दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव केंद्रशासित प्रदेश बॉम्बे उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत रहेगा। ध्यातव्य है कि बॉम्बे उच्च न्यायालय के अंतर्गत महाराष्ट्र एवं गोवा राज्य भी आते हैं।
दमण और दीव
दमण और दीव (पूर्व केंद्रशासित प्रदेश) में दो जिले नामत: दमण एवं दीव शामिल हैं।
दीव गुजरात स्थित वेरावल बंदरगाह के निकट है। दीव दो पुलों के माध्यम से मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है।
दमण जिला, मुंबई से लगभग 200 किमी. उत्तर में स्थित है। यह उत्तर, पूर्व एवं दक्षिण में गुजरात राज्य के वलसाड़ जिले से घिरा हुआ है।
नासिक से आने वाली दमण गंगा नदी दमण जिले के मध्य से गुजरती है तथा इसे दो भागों-मोती दमण और नानी दमण में बांटती है।
19 दिसंबर, 1961 को दमण और दीव पुर्तगाली शासन से स्वतंत्र हुआ था। वर्ष 1961 से 1987 तक दमण और दीव, “गोवा, दमण और दीव केंद्रशासित प्रदेश” का भाग था।
56वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 द्वारा गोवा को पूर्ण। राज्य एवं दमण और दीव को पृथक केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
दादरा और नागर हवेली
दादरा और नागर हवेली पर जून, 1783 में पुर्तगालियों ने अधिकार कर लिया था। 2अगस्त, 1954 को दादरा और नागर हवेली को पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
वर्ष 1954-1961 तक इसका प्रशासन एक नागरिक परिषद, जिसका नाम स्वतंत्र दादरा और नागर हवेली वरिष्ठ पंचायत था, द्वारा किया गया था।
वर्ष 1961 में इसे भारत गणराज्य में समाहित कर एक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। भौगोलिक रूप से दादरा और नागर हवेली 491 वर्ग किमी. क्षेत्र के मे विस्तृत है। यह उत्तर में गुजरात एवं दक्षिण में
महाराष्ट्र।मध्य स्थल अवरुद्ध (Land Locked) क्षेत्र है।
राज्य क्षेत्र के स्थापना एवं विलय के संबंध में
संवैधानिक प्रावधान भारतीय संविधान के भाग-1 में अनुच्छेद । से अनुच्छेद 4 तक।संघ और उसके राज्य क्षेत्र के संबंध में प्रावधान है। अनुच्छेद 2 के अंतर्गत भारतीय संघ में नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना का अधिकार संसद को प्राप्त है। संसद, विधि द्वारा ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।
अनुच्छेद 3 के अंतर्गत संसद नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यो के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन कर सकती है। संसद विधि द्वारा
(क) किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर या किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी।
(ख) किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी।
(ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी।
(घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन क९ सकेगी।
(ङ) किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी।
संसद साधारण बहुमत से नए राज्यों का निर्माण कर सकती है।।इस हेतु निमित विधि को अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संविधान का संशोधन नहीं समझा जाएगा।
पहली अनुसूची में राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों का वर्णन किया गया है।
अनुच्छेद 4 के अंतर्गत पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के।संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियों का उल्लेख है।