वित्तीय बाजार

वित्तीय बाजार
सुचारू ढ़ंग से कार्य करने वाले, चलनिधि युक्त और लचीले वित्तीय बाजार मौद्रिक नीति अंतरण और भारत के विकास के वित्तपोषण में अपरिहार्य जोखिमों के आवंटन और अवशोषण में सहायता करते हैं।

वित्तीय प्रणाली की सुदृढ़ता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने और जोखिम कम करने के लिए रिज़र्व बैंक ने भारतीय निर्धारित आय, मुद्रा बाजार और डेरिवेटिव संघ (फिम्डा) और भारतीय विदेशी मुद्रा व्यापारी संघ (एफईडीएआई) जैसे उद्योग निकायों को क्रमशः रुपया ब्याज दर और विदेशी मुद्रा बेंचमार्क के लिए बेंचमार्क प्रशासक के रूप में पदनामित किया है। फिम्डा, एफईडीएआई और भारतीय बैंक संघ ने तब से संयुक्त रूप से बेंचमार्क संचालन के लिए एक स्वतंत्र कंपनी बनाई है। बैंकों और प्राथमिक व्यापारियों की बेंचमार्क प्रस्तुत करने संबंधी कार्यकलाप जिनमें प्रस्तुतीकरण हेतु उनका अभिशासन ढांचा शामिल है, को रिज़र्व बैंक के आन-साइट और आफ-साइट पर्यवेक्षण के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव है।

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अच्छी तरह से कार्य करने वाले, चलनिधि युक्त और लचीले वित्तीय बाजार मौद्रिक नीति अंतरण और भारत के विकास के लिए अपरिहार्य जोखिमों का आवंटन और उनके समावेशन में सहायक हैं।
• रिज़र्व बैंक के विनियामक क्षेत्राधिकार में आने वाले प्रमुख बाजार खंडों में सरकारी प्रतिभूति बाजार और मुद्रा बाजार सहित ब्याज दर बाजार, विदेशी मुद्रा बाजार, ब्याज दरों/मूल्यों, रिपो, विदेशी मुद्रा दर पर डेरिवेटिव्ज और क्रेडिट डेरिवेटिव्ज शामिल हैं।
व्यापक विनियामक ढांचा और लिखतें
• रिज़र्व बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के विशेष प्रावधानों के माध्यम से बाजार खंडों को विनियमित करने के लिए सांविधिक अधिकार प्राप्त हैं। पात्र बाजार सहभागियों को जारी विवेकपूर्ण दिशानिर्देश सरकारी प्रतिभूतियों, मुद्रा बाजार और ब्याज दर डेरिवेटिव्ज के लिए व्यापक विनियामक ढांचे का निर्माण करते हैं।
• सरकारी प्रतिभूति बाजार: सरकारी प्रतिभूति बाजार जो केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों का कारोबार करते हैं, उनका पिछले दो दशकों में काफी विकास हुआ है। इसमें एक बड़ा प्राथमिक और एक सक्रिय द्वितीयक खंड है। कारोबार मुख्य रूप से एनडीएस-ओएम पर किया जाता है जो एक गुमनाम आदेश-मिलान कारोबार मंच है। सरकारी प्रतिभूति बाजार की औसत दैनिक कारोबार मात्रा में वर्ष 2005-06 के रु.32.15 बिलियन में काफी वृद्धि होकर वर्ष 2014-15 में रु.433.12 बिलियन हो गई है। सरकारी प्रतिभूतियों में सभी द्वितीय बाजार के लेनदेनों का निपटान भुगतान पर डिलीवरी मोड के अंतर्गत एक केंद्रीय काउंटरपार्टी व्यवस्था के माध्यम से किया जाता है। बहु-पक्षीय नेटिंग किसी विशेष निपटान तारीख के लिए प्रत्येक सदस्य के एकल निधि निपटान बाध्यता के साथ की जाती है। इसका निपटान सदस्य द्वारा रिज़र्व बैंक में अनुरक्षित आरटीजीएस (तत्काल सकल भुगतान) निपटान/चालू खाते में किया जाता है।
• कॉल मुद्रा बाजार: असंपार्श्विक कॉल मुद्रा बाजार विवेकपूर्ण सीमाओं के अधीन बैंकों और प्राथमिक व्यापारियों तक सीमित है। संपार्श्विक कॉल मुद्रा बाजार के अंदर संपार्श्विक उधार और ऋण सुविधा (सीबीएलओ) तथा बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के बीच बाजार रिपो लेनदेन शामिल हैं। मुद्रा बाजार में कंपनियों, प्राथमिक व्यापारियों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी वाणिज्यिक पेपर (सीपी) तथा बैंकों द्वारा संस्थागत निवेशकों को जारी जमा प्रमाण-पत्र भी शामिल हैं। मुद्रा बाजार के प्रत्येक खंड (सेगमेंट) पर विस्तृत दिशानिर्देश वेबसाइट पर वित्तीय बाजारों के लिए मास्टर परिपत्र खंड में उपलब्ध हैं।

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• विदेशी मुद्रा बाजार: विदेशी मुद्रा बाजार में, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) जो फेमा, 1999 के नाम से सुप्रसिद्ध है, वह विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाओं के विनियमन के लिए सांविधिक ढांचे के प्रावधान करता है। निवासी अपने विदेशी मुद्रा एक्सपोज़रों की विभिन्न उत्पादों के माध्यम से रक्षा कर सकते हैं, इन उत्पादों में वायदा संविदाएं, रुपया और विदेशी मुद्राएं वाले आप्शंस, करेंसी स्वैप और ओटीसी बाजार में लागत कम करने वाली आप्शन संरचनाएं शामिल हैं। विदेशी निवेशक वायदा संविदाओं (फारवर्ड कान्ट्रैक्ट) और आप्शंस के माध्यम से भारत में इक्विटी और/अथवा ऋण में अपने निवेश को भी सुरक्षित कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, विशेष मुद्रा स्थिति सीमाओं के अंदर चार करेंसी युग्मों में शेयर बाजार में कारोबार किए जाने वाले करेंसी फ्यूचर्स और करेंसी आप्शन्स के लिए अमेरिकी डॉलर में कारोबार करने की अनुमति है। निवासियों को विशेष दिशानिर्देशों के अनुसार विदेशी ओटीसी बाजारों और शेयर बाजारों में अपने पण्य-वस्तु के मूल्य जोखिम को सुरक्षित करने की भी अनुमति है।

पिछले वर्षों में विदेशी मुद्रा बाजार स्पोट और वायदा बाजार का काफी अधिक विस्तार हुआ है। औसत दैनिक विदेशी मुद्रा बाजार टर्नओवर वर्ष 2005-06 के लगभग 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2014-15 में लगभग 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। वर्ष 2014-15 के दौरान अंतर-बैंक यूएसडी/आईएनआर वायदा संविदाओं में औसत दैनिक कारोबार मात्रा 6.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी और यूएसडी/आईएनआर फ्यूचर्स में यह मात्रा 2.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।

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डेरिवेटिव्ज: ओटीसी ब्याज दर डेरिवेटिव्ज (आईआरडी) खंड में ब्याज दर स्वैप (आईआरएस) और फारवर्ड दर करारों (एफआरए) की विभिन्न बेंचमार्कों पर अनुमति है जहां बैंक और प्राथमिक व्यापारी हेजिंग और ट्रेडिंग स्थिति रखते हैं। बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंडों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जैसी अन्य विनियमित संस्थाएं हेजिंग के प्रयोजन से ब्याज दर डेरिवेटिव्ज में भाग ले सकती हैं। आईआरएस बाजार के कार्यकलाप में काफी वृद्धि हुई है और वित्तीय वर्ष 2014-15 में रुपया आईआरएस में औसत दैनिक अंतर-बैंक ट्रेडिंग की मात्रा वित्तीय वर्ष 2014-15 में रु. 88.60 बिलियन हो गई। इसके अतिरिक्त, शेयर बाजार में कारोबार किए जाने वाले ब्याज दर फ्यूचर्स (आईआरएफ) हैं, ये भी विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) के लिए खुले हुए हैं। आईआरएफ बाजार में ट्रेडिंग कार्यकलापों में हाल की अवधि में बढ़ोतरी हुई है जिनमें वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान रु. 19.18 बिलियन का औसत दैनिक कारोबार किया गया है।
ओटीसी बाजार सुधारों का कार्यान्वयन
भारत जी-20/वित्तीय स्थिरता बोर्ड द्वारा संस्तुत किए गए ओटीसी डेरिवेटिव सुधार उपायों को लागू करने के लिए वचनबद्ध है। भारत उन देशों में एक है जिनमें संकटेत्तर समय से पहले ही ओटीसी बाजारों के विनियमन का औपचारिक ढांचा विद्यमान है, इस क्षेत्र की तरफ वैश्विक रूप से ध्यान केंद्रित हो रहा है। चालू प्रयास पारदर्शिता में सुधार करने और ओटीसी डेरिवेटिव बाजारों में काउंटरपार्टी जोखिम कम करने और कारोबार, निपटान और लेनदेनों की रिपोर्टिंग के लिए मजबूत बाजार बुनियादी सुविधा विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
• इस पृष्ठभूमि में वह कारोबार पूरा किया जा चुका है जो विभिन्न ओटीसी ब्याज दर, विदेशी मुद्रा और क्रेडिट डेरिवेटिव्ज की व्यवस्था की रिपोर्ट करता है। इस व्यवस्था में रुपया आईआरएस/एफआरए, विदेशी फारवर्ड संविदाएं, आप्शंस और स्वैप, करेंसी स्वैप, विदेशी मुद्रा में आईआरएस/एफआरए और सीडीएस कवर किए गए हैं। भारत ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेनों की रिपोर्टिंग करने के जी-20 वचनबद्धता का पूरी तरह से अनुपालन कर रहा है।
• आईआरएस, विदेशी फारवर्ड और स्वैप के लिए केंद्रीय काउंटरपार्टी (सीसीपी) व्यवस्था शुरू की गई है। आईआरएस कारोबार के लिए सीसीपी सुविधा के साथ बेनाम कारोबार मंच विकसित करने के लिए भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) को सैद्धांतिक अनुमोदन दिया जा चुका है।
• वित्तीय बाजारों के लिए रिज़र्व बैंक के विनियमन का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और स्थिर बाजार विकसित करना है जो कारोबार और जोखिम प्रबंध के लिए उचित उत्पाद उपलब्ध कराए। इस दृष्टिकोण के एक भाग के रूप में, बेहतर मूल्य की तलाश में संरचनात्मक सख्ती को दूर करने और वित्तीय बाजारों का विस्तार करने का प्रयास करना है। खंडों के बीच अंतर-संपर्क विकसित और मजबूत करने, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, उत्पादों और बाजार पद्धतियों में नवोन्मेष के माध्यम से विकल्प बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। व्यवस्थित बाजार कार्यकलाप के लिएविनियामक, विधिक, संस्थागत और प्रौद्योगिकीय बुनियादी सुविधा को सदृढ़ किया जा रहा है।
• सरकारी प्रतिभूति बाजारों की चलनिधि बढ़ाना वरीयता बनी हुई है। प्राथमिक व्यापारियों द्वारा बाजार सृजित करने कार्य को पुनरुज्जीवित करने के संभावित तरीकों की जांच की जा रही है। आईआरएस में भागीदारी को व्यापक बनाने और निपटान जोखिम को कम करने के लिए जल्दी ही एक बेनाम ट्रेडिंग मंच शुरू किया जाने वाला है। बाजार से प्राप्त प्रतिसूचना को ध्यान में रखते हुए यह भी घोषणा की गई है कि 5-7 वर्ष और 13-15 वर्ष के बीच की अवशिष्ट परिपक्वता वाली अंतर्निहित प्रतिभूतियों पर नकदी निपटान वाले नए आईआरएफ शुरू किए जाएं।

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• विदेशी मुद्रा बाजार को सहभागियों की सहायता करने के लिए और उत्पादों की आवश्यकता है जिससे कि वे अपने विदेशी मुद्रा जोखिम कम कर सकें। विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) को अब घरेलू एक्सचेंज कारोबार वाले डेरिवेटिव बाजारों में पहुंच प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, परिचालनात्मक प्रक्रिया के तार्किकीकरण पर विचार किया जा रहा है। मध्यावधि में अंतरराष्ट्रीय स्टेकधारकों के लिए ओटीसी बाजार में पहुंच पर भी विचार किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, आने वाले वर्षों में आप्शंस बाजार में विस्तार किया जा सकता है जिससे कि बाजार सहभागी अपनी मुद्रा की आसानी और सस्ते तरीके से सुरक्षा कर सकें।

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