शंघाई सहयोग संगठन(sco)
शंघाई सहयोग संगठन
जून, 2018 के मध्य शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 18वाँ शिखर सम्मेलन चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित हुआ। यह पहला मौका है जब भारत एससीओ की बैठक में बतौर सदस्य देश शामिल हुआ।
इस सम्मेलन के दौरान हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में ‘सिक्योर’ (SECURE) का नया कॉन्सेप्ट दिया है।
S यानी सिक्योरिटी फॉर सिटीज़न,
E यानी इकॉनॉमिक डेवलपमेंट,
C यानी कनेक्टिविटी इन द रीज़न,
U यानी यूनिटी,
R यानी रेस्पेक्ट फॉर सोवरेनिटी एंड इंटिग्रिटी और
E यानी एनवायरमेंट प्रोटेक्शन।
प्रधानमंत्री मोदी की मुख्य बातें
– कनेक्टिविटी: प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिये संपर्क सुविधाओं को एक महत्त्वपूर्ण कारक बताया। उन्होंने कहा कि भारत चाबहार बंदरगाह और अश्गाबात तुर्कमेनिस्तान) समझौते के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा परियोजना में शामिल है। यह संपर्क सुविधा के विकास की परियोजनाओं में भारत की प्रतिबद्धताको दर्शाता है।
-पर्यटनः प्रधानमंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन के देशों के बीच पर्यटन बढ़ाने की जरूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में केवल छह फीसदी पर्यटक एससीओ देशों से आते हैं और इस संख्या को आसानी से दोगुना किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी साझा संस्कृतियों के बारे में जागरूकता फैलाने से इस संख्या को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
शांति व संप्रभुता: प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में शांति स्थापना के मजबूत प्रयास करने के लिये अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गर्नी की प्रशंसा की और उम्मीद जताई कि सभी पक्ष उनके कार्यो की सराहना करेंगे।
मोदी ने चीन की ओबीओआर परियोजना पर परोक्ष रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि बड़ी संपर्क सुविधा परियोजनाओं में सदस्य देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिये। साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया कि समावेशिता सुनिश्चित करने वाली सभी पहलों के लिये भारत की ओर से पूरा सहयोग मिलेगा।
इसके अलावा, भारत और चीन ने शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान 2 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
* समझौतों के तहत चीन बाढ़ के मौसम के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी के संबंध में भारत को जल-विद्युत जानकारी प्रदान करेगा।
* भारत से चीन में चावल निर्यात करने के लिये फाइटोसनेटरी आवश्यकताओं के प्रोटोकॉल
2006 में संशोधन किया गया है ताकि भारत से गैर-बासमती किस्मों के चावल को नियात में शामिल किया जा सके।
शंघाई सहयोग संगठन के उद्देश्य
शंघाई सहयोग संगठन का मुख्य उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों के बीच संबंधों को मज़बूत करना; राजनीतिक मामलों, अर्थव्यवस्था और व्यापार, वैज्ञानिक-तकनीकी, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, ऊर्जा, परिवहन एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना; क्षेत्रीय शांति सुरक्षा और स्थिरता की रक्षा एवं एक लोकतांत्रिक, न्यायसंगत अंतर्राष्ट्रीय राजनीति
एवं आर्थिक व्यवस्था का निर्माण करना है। इसके अलावा, वर्तमान सम्मेलन का उद्देश्य तेजी से बदलती क्षेत्रीय
स्थितियों द्वारा निर्मित राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों को दूर करने के लिये क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत बनाना है। लक्ष्य प्राप्त करने के लिये एससीओ के सदस्य देश लंबे समय तक अच्छे पड़ोसी का धर्म, मित्रता और सहयोग की नीति के कार्यान्वयन के लिये पाँच वर्षों की रूपरेखा पर काम करेंगे, साथ ही आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद जैसी तीन बुरी ताकतों से लड़ने के लिये सहयोग के तीन-वर्षीय कार्यक्रम तैयार करेंगे।
शंघाई सहयोग संगठन
Shanghai Cooperation Organisation-SCO
एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है। वर्ष 2001 में चीन, कज्ञाखस्तान, कि्गिस्तान, रूस ताजिकिस्तान, उज्चेकिस्तान ने शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना शंघाई में की। हालांकि, इस संगठन की शुरुआत शंघाई-5 के रूप में 26 अप्रैल, 1996 को हुई थी। शंघाई-5 चीन, कजाखस्तान, कि्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान देशा का संगठन था। 15 जून, 2001 को जब उज्बेकिस्तान को इसमें शामिल किया गया तो इसका नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन रख दिया गया।
2017 में कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में हुए शिखर सम्मेलन भारत व पाकिस्तान को एससीओ के पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल किया गया। इस तरह अब शघाई सहयोग संगठन की सदस्य संख्या बढ़कर आठ हो गई है। हेड ऑफ स्टेट काउंसिल इसका शीर्षस्थ नीति-निर्धारक निकाय है। चीनी और रूसी शंघाई सहयोग संगठन की आधिकारिक भाषाएँ हैं।
एस.सी.ओ. की सदस्यता से भारत को लाभ
मध्य एशिया, रूस एवं चीन के ऊर्जा, व्यापार क्षेत्रों एवं सामरिक पारगमन मार्गों तक भारत की पहुँच सुनिश्चित होगी। ईरान के ‘बंदर अब्बास’ और ‘चाबहार ‘ बंदरगाह से भारत मध्य एशियाई देशों के प्राकृतिक संसाधनों तक अपनी पहुँच बना सकता है।
यह भारत और पाकिस्तान को अपने आपसी विवाद, जैसे- सीमापार आतंकवाद, नकली मुद्रा आदि को सुलझाने के लिये औपचारिक मंच प्रदान करेगा।
अफगानिस्तान की सुरक्षा व आंतंरिक स्थिरता को बनाए रखने और वहाँ भारतीय हितों की पूर्ति करने के लिये यह संगठन एक मंच प्रदान करेगा। एस.सी.ओ. तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत
(TAPI) और
ईरान-पाकिस्तान-भारत
(IPI) जैसी पाइपलाइन परियोजनाओं में सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने में उपयोगी साबित होगा। इस संगठन की सदस्यता से भारत के अमेरिकी पक्ष की ओर बढ़ते झुकाव को प्रतिसंतुलित रखने में मदद मिलेगी।