संकटग्रस्त प्रजातियों की आईयूसीएन रेड लिस्ट जारी की गई

संकटग्रस्त प्रजातियों की आईयूसीएन रेड लिस्ट जारी की गई

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण मंच (आईयूसीएन) ने 12 जून 2014 को संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट जारी की. जापानी मछली (एंगुइल्ला जापोनिका) को लुप्तप्राय जीव के रूप में सूचीबद्ध किया गया है जबकि ब्राजील के थ्री– बैंड अर्माडिल्लो (फीफा विश्व कप 2014 के शुभंकर) को अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है.

रिपोर्ट की खास बातें–
जापानी मछली ईल (एंगुइल्ला जापोनिका) को निवास स्थान के नुकसान, अत्यधिक मछली पकड़ने, प्रवास की राह में बाधा, प्रदूषण और समुद्री धाराओँ में परिवर्तन की वजह से लुप्तप्राय जीवों की सूची में रखा गया है.
• ब्राजील के थ्री– बैंड अर्माडिल्लो (टॉलिप्युटेस ट्रीसिन्कटस – फीफा विश्व कप 2014 शुभंकर) को इसके सूखी झाड़ियों के मैदान काटिन्गा आवास में पचास फीसदी की कमी के कारण इसे अतिसंवेदनशील प्रजातियों वाले जीवों की श्रेणी में रखा गया है.
• 94 फीसदी से ज्यादा लीमरों के विलुप्त होने का खतरा है. लीमर की 101 जीवित प्रजातियों में से 22 प्रजातियों बहुत अधिक खतरे में हैं जिसमें सबसे बड़े जीवित लीमर–बड़े शरीर वाला इंद्री लीमर भी शामिल है. लीमरों के जीवन पर यह खतरा मेडागास्गकर के उनके उष्णकटिबंधीय वन निवास के विनाश की वजह से पैदा हुआ है.
• कुल 48 प्रजातियां खतरे में हैं, मैडम बर्थ माउस लीमर (माइक्रोसीबस बर्थ) और 20 खतरे में हैं. पृथ्वी पर रीढ़ धारी जीवों के समूह में सबसे अधिक खतरा मीट्टरमीअर्थम पर है.
• बनाना ऑर्किड (मिरमेकोफिला थॉमसोनियाना)– केमैन आइलैंड का राष्ट्रीय फूल भी लुप्तप्राय की सूची में है.
• गवर्नसर लैफ्फन फर्न (डिप्लाजीयम लैफ्फानीनयम) मानवीय गतिविधियों और आक्रामक विदेशी प्रजातियों के आने की वजह से अपने प्राकृतिक आवास के खत्म होने के कारण विलुप्त हो रहा है.
• सिर्फ इस्राइल में पाई जाने वाली मछली की प्रजातियां– यारकोन ब्रीम (एकांथोब्रामा टेलावीवेनसिस) और किस– लिप हीमरी ( कारासोबारबस कोस्साविगि), विलुप्तप्राय जीवों की सूची से हटकर अतिसंवेदनशील प्रजातियों की श्रेणी में आ गई हैं.
• करीब 80 फीसदी शीतोष्ण सिलपर ऑर्किड्स (उत्तरी अमेरिका, यूरोप और शीतोष्ण एशिया) और इन सजावटी पैधौं का 79 फीसदी विलुप्त होने की कगार पर है.
• फ्रीकल्ड साइप्रेडियम (साइप्रेडियम लेनटीजिनोसम) लुप्तप्राय प्रजातियों में हैं और इसके 100 से भी कम की संख्या चीन के दक्षिण–पूर्वी युन्नान और वियतनाम के हा गीयांग प्रांत में मिली है. इनकी संख्या में कमी अत्यधिक संग्रह और वनों की कटाई की वजह से हुई है.
• डिकिन्सन साइप्रीपेडियम (सी. डिकिन्सोनीनैनम) भी लुप्तप्राय प्रजाति है और मैक्सिको, गुवांटेमाला और होंडुरास में बहुत कम संख्या में मौजूद है.

आईयूसीएन के बारे में

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण मंच विश्व का सबसे पुराना और सबसे पड़ा वैश्विक पर्यावरण संगठन है. इसकी स्थापना वर्ष 1948 में हुई थी. यह पर्यावरण और सतत विकास के क्षेत्र में अग्रणी अधिकार रखता है.
इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जीनेवा में है. आईयूसीएन स्पिसिज प्रोग्राम और स्पिसिज सर्वाइवल कमिशन (एसएससी) वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर प्रजातियों, उप प्रजातियों औऱ जनसंख्या का संरक्षण की स्थिति से आकलन किया है और उनके संरक्षण के लिए मार्गदर्शन हेतु सुझाव दिए हैं.

What is IUCN?

IUCN, International Union for Conservation of Nature, helps the world find pragmatic solutions to our most pressing environment and development challenges.

IUCN’s work focuses on valuing and conserving nature, ensuring effective and equitable governance of its use, and deploying nature-based solutions to global challenges in climate, food and development. IUCN supports scientific research, manages field projects all over the world, and brings governments, NGOs, the UN and companies together to develop policy, laws and best practice.

IUCN is the world’s oldest and largest global environmental organisation, with more than 1,200 government and NGO Members and almost 11,000 volunteer experts in some 160 countries. IUCN’s work is supported by over 1,000 staff in 45 offices and hundreds of partners in public, NGO and private sectors around the world.

IUCN at a glance

  • Founded in 1948 as the world’s first global environmental organisation
  • Today the largest professional global conservation network
  • A leading authority on the environment and sustainable development
  • More than 1,200member organizations including 200+ government and 900+ non-government organizations
  • Almost 11,000 voluntary scientists and experts, grouped in sixCommissions in some 160 countries
  • IUCN’s work is supported by over 1,000 staff in 45 offices and hundreds of partners in public, NGO and private sectors around the world. The Union’s headquarters are located in Gland, near Geneva, in Switzerland.
  • A neutral forum for governments, NGOs, scientists, business and local communities to find practical solutions to conservation and development challenges
  • Thousands of field projects and activities around the world
  • Governance by aCouncil elected by member organizations every four years at the IUCN World Conservation Congress
  • Fundedby governments, bilateral and multilateral agencies, foundations, member organisations and corporations
  • Official Observer Status at the United Nations General Assembly

What does IUCN do?

Conserving biodiversity is central to the mission of IUCN. We demonstrate how biodiversity is fundamental to addressing some of the world’s greatest challenges such as climate change, sustainable development and food security.

To deliver conservation and sustainability at both the global and local level, IUCN builds on its strengths in the following areas:

  • Science– 11,000 experts setting global standards in their fields, for example, the definitive international standard for species extinction risk – the IUCN Red List of Threatened Species™.
  • Action– hundreds of conservation projects all over the world from the local level to those involving several countries, all aimed at the sustainable management of biodiversity and natural resources.
  • Influence– through the collective strength of more than 1,200 government and non-governmentalMember organizations, IUCN influences international environmental conventions, policies and laws.

How does IUCN work?

All of our work is framed by a Global Programme, developed with and approved by IUCN member organisations every four years. Our current programme runs from 2012 to 2016.

IUCN’s Global Programme is coordinated by IUCN’sSecretariat and delivered in conjunction with IUCN member organisations, Commissions and IUCN’s theme-based programmes:

————————————————————————————————–

  • संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने चिल्का झील को दर्शनीय पर्यटन स्थल घोषित किया

    संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूडीओ) ने ओडिशा की चिल्का झील को उसकी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता के लिए दर्शनीय पर्यटन स्थल घोषित किया. यह जानकारी चिल्का झील विकास प्राधिकरण (सीडीए) के मुख्य कार्यकारी अजीत कुमार पटनायक ने नवंबर 2014 को दी.

    चिल्का झील

    चिल्का झील भारत में ओडिशा के पूर्वी तट पर स्थित है. यह पूर्वी तट के साथ फैली नदीमुख स्वरूप की खारे पानी की एशिया की सबसे बड़ी झील है.

    यह भारतीय उपमहाद्वीप में कहीं भी पाया जाने वाला प्रवासी जलपक्षियों का सबसे बड़ा शीतकालीन आवास-स्थल है. यह देश के जैवविविधता के हॉटस्पॉट्स में से एक है. जोखिमग्रस्त प्राणियों की आईयूसीएन लाल सूची में शामिल कुछ दुर्लभ, असुरक्षित और संकटग्रस्त प्रजातियाँ अपने जीवन-चक्र के कम से कम एक हिस्से में इस लैगून में रहती हैं.

    चिल्का झील विकास प्राधिकरण (सीडीए) के अनुसार, यहां इरावदी प्रजाति की डॉल्फिन सबसे अधिक संख्या में पाई जाती हैं. साथ ही 30 से अधिक प्रवासी पक्षी, मछलियों की 217 और पक्षियों की 211 प्रजातियों के लिए यह एक बड़ा जल स्रोत है. सर्दियों के मौसम में यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. झील में अनेक छोटे-छोटे द्वीप हैं, जो बेहद ख़ूबसूरत प्रतीत होते हैं. यह 70 किमी लंबी तथा 30 किमी चौड़ी है.

    संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ)
    यूएनडब्ल्यूटीओ संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसी है, जो वहनीय और सार्वभौमिक रूप से अभिगम्य पर्यटन के संवर्धन के लिए उत्तरदायी है. इसकी स्थापना 27 सितंबर 1970 को की गई थी और वर्ष 1979 से इसके स्थापना-दिवस को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है.

    वर्ष 1975 में पहले डब्ल्यूटीओ महासचिव की नियुक्ति की गई थी और महासभा ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में डब्ल्यूटीओ मुख्यालय की स्थापना की थी.

    यूएनडब्ल्यूटीओ के 156 देश सदस्य, 6 सहयोगी सदस्य और 400 संबद्ध सदस्य हैं, जो निजी क्षेत्र, शैक्षिक संस्थानों, पर्यटन-संघों और स्थानीय पर्यटन-प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

    —————————————————————————————————————————– 

 

You may also like...

error: Content is protected !!