अंटार्कटिका का अपना कोई टाइमजोन नहीं

अंटार्कटिका… यानी विश्व का सबसे ठंडा स्थान। अंटार्कटिका पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह पूरे यूरोप से बड़ा है और ऑस्ट्रेलिया  से लगभग दोगुना बड़ा है। लेकिन इतने बड़े क्षेत्र में कोई स्थाई निवासी नहीं रहते हैं । हालांकि वैज्ञानिक साल भर अस्थाई रूप से यहां आते रहते हैं। अंटाकटिका में 60 से अधिक साईंस स्टेशन हैं। गर्मियों में यहां करीब 5 हजार लोग तो सर्दियों में 1 हजार लोग रहते हैं। अंटार्कटिका को दक्षिणी भुव के रूप में भी जाना जाता है।

अंटार्कटिका इसलिए भी खास है क्योंकि इसके पास खुद का अपना टाइमजोन नहीं है। दरअसल, अंटार्कटिका धरती के दक्षणी ध्रुव पर स्थित है, इस वजह से यहां विश्व भर के टाझमजोन्स आकर मिलते हैं। इस वजह से धरती पर उपलब्ध सभी टाइमजोन यहां मौजूद हैं। यही वजह है कि यहां का कोई ऑफिशियल टाइमजोन नहीं है। ऐसे में

जो रिसर्च स्टेशन यहां काम कर रहे हैं, वे अपने-अपने देश के टाइमजोन का इस्तेमाल करते हैं। जैसे पामर स्टेशन अमेरिका का स्पेस स्टेशन है, लेकिन यह चिली समर टाइम ( सीएलएसटी) का उपयोग करता है, क्योंके चिली अंटार्कटिका के सबसे नजदीक देश है। तो चलिए जानते हैं अंटार्कटिका से जुड़ी रोचक बाते..

अंटार्कटिका से जुड़ी रोचक बातें

● सर्दियों के दौरान कुछ महीने अंटार्कटिका में बिल्कुल सूर्य नहीं निकलता। यानी यहां पूर्ण रूप से अंधेरा छाया हुआ होता है।

● पूरे अंटार्कटिका में सिर्फ एक एटीएम मौजूद है। यह अमेरिका के मैकमुडों स्टेशन में मौजूद है। इस स्टेशन में गमियों में 1 हज़ार के आसपास लोग रहते हैं।

● यहां धर्म के लिए भी जगह है। लोगों की आस्था के सम्मान में रिसर्च स्टेशन के आसपास 8 ईसाई चर्च भी मौजूद हैं।

● यहां हर साल मैराथन भी होती है। पहली अंटार्कटिका मैराथन 1995 में आयोजित हुई थी। तब से प्रत्येक वर्ष फरवरी या मार्च में यह आयोजित होती है। यह मैराथन 42 किलोमीटर लंबी होती है।

● अंटार्कटिका में 70 से ज्यादा रिसर्च स्पैस स्टेशन मौजूद हैं। इनहें दुनिया भर के 25 से अधिक देशों द्वारा संचालित किया जाता है। अंटार्कटिका में पहले स्लेज कुत्ते हुआ करते थे। लेकिन 1994 में यहाँ सभी कुत्तों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। डर था कि यह सील आबादी में बीमारियां फैला सकते थे।

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