मध्यप्रदेश के 15 कॉलेजों में 370 पद खाली 

वर्ष 2022 में जारी हुआ सहायक प्राध्यापक भर्ती का विज्ञापन

15 कॉलेजों में 370 पद खाली 

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की सहायक प्राध्यापक भरतीं परीक्षा कब होगी, इस पर सस्पेंस अब चुनाव बाद ही दूर होने की संभावना है। परीक्षा तीन चरण में होना है, इस लिहाज से इस साल नियुक्तियाँ संभव नहीं है। यह स्थिति तब है जब आखिरी बार नियुक्तियाँ 2018 में हुई थी। विज्ञापन 2017 में आया था। वहीं जिले में पिछले साल ही 3 नए सरकारी कॉलेज खुल गए हैं।

इनमें 120 नए पदों पर नियुक्तियाँ होना है। पहले से ही 12 सरकारी कॉलेजों में 250 पद खाली हैं। अब कुल 15 कॉलेजों में 370 से ज्यादा पद खाली हैं। इतना ही नहीं क्वालिटी एजुकेशन के दावे के बीच 3 साल में इन शासकीय कॉलेजों में 7 हजार से ज्यादा सीटें अलग से बढ़ा दी गई हैं। अगर इस लिहाज से पदों की जरूरत देखी जाए तो 400 अतिरिक्त पद सृजन करना होंगे। इधर, नई शिक्षा नीति लागू होने वे बाद पिछले तीन साल में 35 वोकेशनल विषय अलग से नए जुड़े हैं।

सरकारी कॉलेजों का रिजल्ट

शिक्षकों की कमी का असर साफ नजर रहा है। डीएवीवी की पिछले दो साल में 21 परीक्षाओं के रिजल्ट बिगड़े। इनमें बीबीए, बीकॉम, एलएलबी, बीए एलएलबी, बीए,एमए, एमकॉम जैसे कोर्स शामिल हैं। फेल होने या सप्लीमेंट्री लाने वालों में सरकारी कॉलेजों के छात्रों की संख्या 38% से ज्यादा थी। होलकर साइस को छोड़ सरकारी कॉलेजों का कुल रिजल्ट औसत 48% पर आ गया है, जबकि उसके पिछले दो साल (कोविड के वर्ष 2020-21) को छोड़ यह रिजल्ट औसत 56 फीसदी पर था। 2022 में जारी किया था एड , परीक्षा दो बार स्थगित हो चुकी है  एमपी पीएससी ने 2022 में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा का एड जारी किया था। 1669 पदों के लिए रह विज्ञापन जारी हुआ था। 27 अगस्त को सेट यानी स्टेट एलिजिथिलिटी टेस्ट भी हो गया। उसके रिजल्ट भी दिसंबर तक आ गए, लेकिन सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा दो बार स्थगित हो गई। पहले यह 28 जनवरी और फिर 3 मार्च की तारीख तय की गई, लेकिन वह भी स्थगित हो गई। अब कब होगी, तय नहीं है। जानकारी अनुसार यह लोकसभा चुनाव बाद ही संभव है। वहीं पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के लिए इंदौर के 39 सहित प्रदेश के 2200 पद स्वीकृत किए हैं, उनकी नियुक्ति प्रक्रिया कब पूरी करेंगे, तय नहीं।

11माह का शेड्यूल, समझ से परे था : सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में देरी से कई अभ्यर्थी नाराज हैं उनका कहना है कि महज 35 विष्यों की परीक्षा के लिए 11 माह का शेड्यूल देना ही एमपी पीएससी का सबसे अजब निर्णय था, क्योंकि जब औसत ढाई लाख अभ्यर्थियों की राज्य सेवा प्री परीक्षा एक दिन में करवाई जा सकती है तो यह एग्जाम तीन चरणों में भी एक माह में क्यों नहीं हो सकती थी। परीक्षा टाली गई तो इसके तुरंत बाद उसके कारण का समाधान क्यों नहीं किया गया। एक अभ्यर्थी का कहना है कि मेरे विषय की एग्जाम 17 नवंबर को प्रस्तावित थी। अब नए। शेड्यूल में यह संभव हो पाएगा या नहीं? कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है।

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