मप्र हाई कोर्ट का आदेश, हज़ारों अभ्यर्थियों को राहत सिविल जज भर्ती में तीन साल की प्रैक्टिस जरूरी नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया,जिसमें सिविल जज भर्ती के लिए 3 साल की वकालत की प्रैक्टिस को अनिवार्य किया गया था। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर की बैंच ने हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली अपील को स्वीकार करते हए कहा कि री- एग्जाम कराना असंवैधानिक और अव्यवहारिक होगा। इससे बड़ी संख्यामें मुकदमे बाजी शुरू हो सकती है । पहले से चयन प्रक्रिया में शामिल उम्मीदवारों को बाहर करना अनुचित होगा। इसलिए 2022 की भर्ती प्रक्रिया संशोधित नियमों के बजाय पुराने नियमों के अनुसार पूरी की जाए।

पहले सिविल जज भर्ती के लिए प्रैक्टिस की अनिवार्यता नहीं थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन फैसले के बाद मप्र सरकार ने 2023 में यह शर्त जोड़ दी। नए संशोधन के बाद कई ऐसे उम्मीदवारभी परीक्षा में सफल हो गए थे, जिनके पास 3 साल की वकालत नहीं थी।दो असफल अभ्यर्थियों ने कोर्ट में मांग की कि नियम लागू होने के बाद कट-ऑफ दोबारा तय हों और अपात्रों को बाहर किया जाए। हाई कोर्ट ने ऐसे उम्मीदवारों को बाहर करनेका आदेश दिया, जिससे चयन प्रक्रिया रुकी थी।

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