दुनिया में निजी सेनाएँ 21,000 अरब रु. का कारोबार
दुनिया में 10 से ज्यादा निजी सेनाएँ 21,000 अरब रु. का कारोबार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ वैगनर ग्रुप का विद्रोह भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन इसने प्राइवेट आर्मी के प्रति दुनिया का ध्यान खींचा है। वैसे वैगनर दुनिया की एकमात्र प्राइवेट आर्मी नहीं हैं, बल्कि ऐसी कम से कम एक दर्जन आर्मी काम कर रही हैं, जिनका कुल सालाना कारोबार 260 अरब डॉलर (21,300 अरब रु.) से भी अधिक है।
रूस में वैगनर ग्रुप के विद्रोह ने निजी सेनाओं के नेटवर्क को सुर्ख़ियों में ला दिया है। केवल रूस ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस सहित कई देशों में इस तरह की निजी सेनाएँ हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ये सुख-सुविधा संपन्न लोगों के वे ग्रुप होते हैं, जो किराये पर किसी को भी अपनी सेनाएँ दे देते हैं। ऐसी ज्यादातर आर्मी अपने मूल देश में किसी बिजनेस कम्पनी के तौर पर रजिस्टर्ड होती हैं।

वैसे, 50 देश में भी इनका संचालन होता है, और ये अपने ‘क्लाइंट’ की सुरक्षा के लिए काम करती हैं। लेकिऩ सेक्यूरिटी कंपनियाँ ये हैं प्राइवेट आर्मी इस मामले में अलग हैं कि इनका इस्तेमाल विभिन्न देशों की सरकारों अथवा कंपनियाँ या सुरक्षा एजेंसियों को सीधे तौर पर करती हैं, या फिर इन्हें इस्तेमाल किसी खास मिशन को पूरा करने के लिए भाड़े पर लिया जाता है। वैगनर ग्रुप के लिए यह ‘स्टेट-रन’ या ‘कंपनी-रेंड’ ‘प्राइवेट आर्मी’ से कहीं ज्यादा खतरनाक है।
लेकिन फिलहाल, वैगनर ग्रुप की ‘पार्टनरशिप’ से जुड़ी जिन कंपनियों का नाम बार-बार सामने आ रहा है, वे इन सभी में सबसे प्रमुख हैं। यह रिपोर्ट अमेरिका स्थित ‘रैंड कॉर्पोरेशन’ की है। वैगनर ग्रुप, जिसके लड़ाकू विमानों की वजह से दुनिया का ध्यान खींचा है, उसकी एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट आर्मी का कारोबार 80 अरब डॉलर तक जा पहुंचा है। 2019 में यह 25सअरब डॉलर था।

ये हैं दुनिया की 5 प्रमुख प्राइवेट आर्मीज
• एकेडमी: ये अमेरिका का प्राइवेट आर्मी ग्रुप है, जिसे पहले ‘ब्लैकवाटर’ नाम से जाना जाता था। इसे नेवी सील के एरिक प्रिंस ने गठित किया था। तकनीक के मामले में इसे दुनिया की सबसे एडवांस प्राइवेट आर्मी माना जाता है, जिसके पास मिलिट्री एयरक्राफ्ट, टैंक्स, आर्टिलरी जैसे घातक हथियार भी हैं। अमेरिकी सरकार के लिए इसने इराक, अफगानिस्तान, सीरिया, लीबिया जैसे कई युद्धग्रस्त क्षेत्रों में बड़े मिशनों को अंजाम दिया है। इस पर इराक में मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप भी लगे।
● वैगनर ग्रुप: सर्वाधिक चर्चित इस आर्मी का बेस रूस में है। यह सबसे ताकतवर व खतरनाक प्राइवेट आर्मी मानी जाती है, क्योंकि फाइनेंशिल टाइम्स के अनुसार इसके 50 हजार लड़ाकों में से दो तिहाई कभी जेलों में ख़ूंख़ार अपराधियों के बतौर रह चुके हैं। इसकी अगुवाई येवगेनी प्रिगोजिन करते हैं, जो कई रेस्टोरेंट्स के मालिक हैं और पूर्व सोवियत संघ के दौरान वे भी जेल में रह चुके हैं। वैगनर के पास भी वे कई तरह के युद्धक हथियार, टैंक और लड़कू विमान हैं, जो रूस की सेना के पास हैं।
• डेफियन इंटरनेशियोनल: यह पेरू के लीमा में स्थित निजी सैन्य कंपनी है, जो दुनिया भर में सैन्य सेवाएं प्रदान करती है। दुबई, फिलीपींस, श्रीलंका और इराक में इसके कार्यालय हैं। डेपिन कैनोपी के साथ भी इसका कांट्रैक्ट है। इसके तहत इसके लड़ाकों को प्रशिक्षण डेपिन कैनोपी की ट्रेनिंग साइर्ट्स पर दिया जाता है। इस प्राइवेट आर्मी के लड़ाके अनेक विकासशील देशों में तैनात हैं।
• ट्रिपल कैनोपी: इराक में अमेरिकी सेना की तैनाती के बाद सुरक्षा संभालने वाली भाड़े की कंपनियों में से एक ट्रिपल कैनोपी भी थी। इसका गठन 2001 में अमेरिका में आतंक की हमले के बाद पूर्व आर्मी अफसरों मैट मैन और टॉम कैटिस ने किया था। इसका मुख्य मकसद आतंक विरोधी गतिविधियों में विभिन्न सरकारी एजेंसियों को प्रशिक्षित करना था। इसे पहला बड़ा कांट्रैक्ट अमेरिका से 2004 में इराक में मिला था। उस समय उसने इराक में करीब 1800 लड़ाके लगाए थे, जिनमें से कई आज भी वहां मौजूद हैं।
• एजिस डिफेन्स सर्विसेज: ब्रिटेन की यह एक प्रमुख प्राइवेट आर्मी है। इसकी स्थापना पूर्व ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर टिम स्पाइसर ने 2002 में की थी। इस प्राइवेट आर्मी के करीब 5 हजार सैनिक संयुक्तराष्ट्र, अमेरिका और कई तेल कंपनियों के
साथ काम करते हैं। यह 2005 में उस समय विवादों में आई थी, जब इसके कुछ सदस्यों के इराकी नागरिकों पर गोली चलाते वीडियो सामने आएहथे। इसी तरह इरिंज इंटरनेशनल भी एक ब्रिटिश प्राइवेट आर्मी है। इस निजी आर्मी कंपनी के पास 16 हजार जवान हैं।
कैसी होती है इनकी कमाई ?
इनकी कमाई दो तरीकों से होती है। एक तो ये दुनिया भर में बड़ी कंपनियों और उनके बड़े अधिकारियों की सुरक्षा में लगे रहते हैं। दूसरी तरफ ये राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के कारण कुछ ख़ास लोगों की सुरक्षा में काम कर रहे हैं। इनकी कमाई का मुख्य जरिया यह है कि यह सीधे तौर पर युद्धों और संघर्षों में या तो सीधे शामिल होते हैं या फिर इनके लिए ज़रूरी हथियारों और सप्लाई का काम करते हैं। दुनिया भर में, 150 से अधिक देशों ने इन ‘निजी सेनाओं’ की सेवाएं ले रखी हैं। 15 से ज्यादा देशों में, ये निजी सेनाएँ 150 से अधिक देशों में काम कर रही हैं। वैश्विक स्तर पर, 60 से ज्यादा देशों में प्राइवेट आर्मी का संचालन हो रहा है।
G 4 S
यह दुनिया की सबसे बड़ी सिक्योरिटी कंपनी और पर्सनल आर्मी है, जिसका मुख्यालय लंदन में है। इसके पास 5 लाख से भी अधिक कर्मचारी काम करते हैं। यह दुनिया के 125 देशों में सेवाएँ देती है।
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