यूपीएससी 2023 टॉपर : आदित्य श्रीवास्तव
यूपीएससी 2023 टॉपर : आदित्य श्रीवास्तव
टॉपर व अंतिम चयनित उम्मीदवार में सिर्फ अप्रोच का फर्क है, इसी से बदल जाती है रैंक
सिर्फ यूपीएससी क्रैक करने बके बारे में नहीं सोचता था। मेरा लक्ष्य टॉप 70 रैंक में शामिल होना था। युपीएससी के टॉपर और औतिम रिकरमेंडेड कैंडिडेट की तैयारी के फर्क को समझते हुए मैंने अपनी प्लानिंग की थी। यूपीएससी का इस बार मेरा तीसरा टैम्ट था। पहली बार जब मैं प्रिलिम्स में फेल हुआ तब निराशा हुई लेकिन मैने अपनी तैयारी का तरीका बदला, नतीजतन दूसरी बार आईपीएस बना। तीसरे अटैम्ट में मैंने सीएसई में पहली रैंक हासिल की। देखा जाए तो मेरी युपीएससी की तैयारी स्कूल में ही शुरू हो गई थी। बचपन में ही पिता ने कह दिया था कि तुम्हारे सामने तीन लक्ष्य हैं- एनटीएसई, आईआईटी और आईएएस। एनटीएसई की तैयारी के लिए 5वीं कक्षा में रीजनिंग की किताबें ले आए थे। इस तरह छठी में ही मैं बैंक पीओ लेवल की रीजनिंग असानी से करने लगा था। तब से ही मेरे अंदर प्रॉब्नम सॉल्विंग एटिट्यूड डेवलप हुआ। पहली सफलता तब मिली जब आठवीं में मैंने एनटीएसई क्रैक किया। अब मेरा दुसरा लक्ष्य था आईआईटी।
4000 शब्द लिखने में दुखते थे हाथ
ĴEE की तैयारी करते-करते फिजिक्स मेरा पसंदीदा विषय बन गया था, फिजिक्स के कॉन्सेप्ट् क्लियर होने का फायदा मुझे जेइई एडवांस्ड में मिला। हालांकि आईआईटी दिल्ली में मुझे एडमिशन नहीं मिला, तो मैं थोड़ा निराश हुआ। लेकिन फिर आगे बढ़ गया। फिजिक्स में दिलचस्पी के चलते मैंने आईआईटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग चुनी। फस्ट ईयर से ही मैं हर मौके को पकड़ना चाहता था। कॉलेज के टेक्निकल फेस्टिवल की कोर टीम में पहुंचना और मेटल आईड हासिल करना मेरा लक्ष्य था।
कार्ड 15 स्टुडेंट को ही मिलता है। इसके लिए कोर टीम का 6-7 घंटे का इंटरव्यू क्लियर करना होता है। मुझे मेटल कार्ड मिला और यह मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
फिजिक्स क्या अभी भी पंसदीदा विषयहै? इस सवाल पर आदित्य हंसते हैं और कहते हैं कि अब तो जिंदगी बहुत बदल गई है। फिर भी फिजिक्स मेरा पसंदीदा विषय है हमेशा लोगों से कनेक्ट होना पसंद था रहेगा।
एक बड़ा मिथ है कि एग्जाम क्रैक करने केलिए 14-16 घंटे की पढ़ाई जरूरी होती है इससे ज्यादा स्मार्ट प्रिपरेशन होना जरुरी है । और इससे सामान्य प्रतिभागी भी टॉप रैंक ला सकता है।
टेक फील्ड से आईएएस तक के सफर के बारे में आदित्य कहते हैं कि मुझे ऐसी जॉब चाहिए थी जिसमें लोगों से जुड़ने और पर्सनालिटी डेवलपमेंट का मौका मिले। हालांकि गोल्ड मैन सॉक्स में काम करने का अनभव अच्छा रहा। जॉब के दौरान मैं लोगों से कनेव्ट होने के लिए हर रविवार एनजीओ में अपनी सर्विसेज दिया करता था। वहां कारम करते हुए मुझे महसूस होने लगा किे मुझे इस का आगे बढ़ाना चाहिए, फिर 15 महीने काम करने के बाद मैंने अपनी जॉब छोड़ दी और 2020 के अंत में आईएएस की तैयारी शुरू कर दी।
सिर्फ किताबों में न डूबे रहें, हर अनुभव लें स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ स्पोटर्स में भी रुचि रही। मैं सिर्फ किताबों में डुबे रहने में यकीन नहीं रखता। कॉलेज में मैं खुब खेलता था। स्कूल के दिनों से ही मेरा माइंडसेट था कि मुझे सब एक्सप्लोर करना है। रिसर्च अनुभव के लिए ड्यूअल डिग्री की। कॉपोरिट तजुर्बें के लिए 22 की उम्र में मैंने गोल्डमेन सॉक्स में एनालिस्ट के तौर पर काम किया। क्रिकेट खेलना और डायनासोर के बारे में पढ़ना मझे बहुत पसंद है।
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