भारत में दूरदर्शन शुरू करने के लिए यूनेस्को ने की थी 20 हज़ार डॉलर की मदद, मिजवाए थे फिलिप्स के 180 टीवी
भारत में दूरदर्शन शुरू करने के लिए यूनेस्को ने की थी 20 हज़ार डॉलर की मदद, मिजवाए थे फिलिप्स के 180 टीवी
दूरदर्शन की बात करते ही हमारे जेहन में इतिहास कीशकई बातें आ जाती हैं । हाल ही में डीडी न्यूज के लोगो को बदला गया है। जानते हैं कैसे हुई थी दूरदर्शन की शुरुआत। दुरदर्शन की शुरुआत साल 1959 में राष्ट्रपाति राजेंद्र प्रसाद ने दिल्ली के आकाशवाणी स्ट्डियो से एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की थी। उन दिनों इसका नाम ‘टेलिविजन इंडिया’ हुआ करता था। तब इसमें हफ्ते में तीन दिन सिर्फ आधे-आधे घंटे का ही प्रसारण होता था। इसके बाद साल 1965 में इसमें बड़ा बदलाव आया और दुरदर्शन पर दैनिक 1घंटे के प्रसारण की शुरुआत हुई। इसके बाद 1966 में दूरदर्शन पर कृषि दर्शन नामक प्रोग्राम शुरू हुआ,जो देश में हरित क्रांति का सूत्रधार बना। साल 1972 आते-आते मुंबई शहर में भी दूरदर्शन सेवाएं शुरू हुई।1975 में कलकत्ता, चेन्नई, श्रीनगर, अमृतसर जैसे शहरों में टीवी स्टेशन खोले गए। इसके साथ ही इसी साल में टेलिविजन इंडिया का नाम बदलकर ‘दूरदर्शन’ हो गया था। 1976 में दूरदर्शन आकाशवाणी से अलग होकर स्वतंत्र विभाग बन गया था।
पं रविशंकर ने दी थी सिग्नेचर ट्यून साल 1982 में
दिल्ली में 9 वे एशियाई खेल हुए थे। तब दूरदर्शन पर पहली बार रंगीन प्रसारण शुरु किया गया था। 1986 में रामायण का प्रसारण दुरदर्शन पर हुआ तो लोकप्रियता के सारे कीर्तिमान ध्वस्त हो गए और लोगों की जुबां पर दूरदर्शन का नाम चढ़ गया। साल 2003 में दुरदर्शन ने 24 घंट्टे चलने वाला समाचार चैनल शुरू किया। युनेस्को ने भारत में दुरदर्शन शुरू करने के लिए 20 हजार डॉलर की सहयोग राशि और 180 फिलिप्स के टीवी सेट दिए थे। दुरदर्शन को अपना नाम ख्यात कवि सुमित्रानंदन पंत से मिला था। वहीं पंडित रविशंकर व उस्ताद अली अह्मद हसैन खान ने दरदर्शनकी सिम्नेचर ट्यून 1976 में बनाई थी। दूरदर्शन के लोगो की जिम्मेदारी नेशनल इस्टीट्यूट ऑफडिजाइन के छात्रों को दी गई थी। कई डिजाइन में से देवाशीष भट्याचार्य के डिजाइन को लोगो के रूप में चुना।
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