असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती (एमपी पीएससी) : वर्षों से योग्य उम्मीदवारों को नहीं मिली नौकरी और कॉलेजों को शिक्षक
असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती (एमपी पीएससी) : वर्षों से योग्य उम्मीदवारों को नहीं मिली नौकरी और कॉलेजों को शिक्षक असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा शासन वbएमपी पीएससी की सबसे अव्यवस्थित परीक्षाओं में से एक साबित हो रही है। यही नहीं राज्य शासन की तमाम विभागों में होने वाली भर्ती की तुलना में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती की रफ़्तार सबसे धीमी है। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 37 साल में मात्र 4500 नियुक्तियाँ हो पाईं, वहीं वर्तमान में 3500 पद खाली हैं। मजबूरी में एक शिक्षक पर 120 छात्रों की जिम्मेदारी है। कुल मिलाकर 1987 से अब तक 10 हजार से ज्यादा पद भरे जाने थे। औसत हर चार साल में एक बार परीक्षा के जरिए नियुक्ति होनाnचाहिए। यानी 1991 से अब तक ৪ बार सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा हो जाना थी, लेकिन चौथी बार ही प्रक्रिया शुरू हुई। 2014 और 2015 में भी प्रक्रिया की, 1 लाख ৪ हजार आविदन आए, परीक्षा ही निरस्त कर दी, सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा के दूसरे चरण की 2 जून को होने वाली परीक्षा भी स्थगित होने के बाद 17 नवंबर को प्रस्तावित तीसरे चरण की परीक्षा पर भी सस्पेंस बढ़ गया है।
अब संभावना है कि 2025 में ही यह परीक्षा हो पाएगी। इससे पहले भी दो बार 2014 और 2015 में 1646 व 2300 पदों के लिए सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा होना थी, जो तकनीकी कारणों के जरिए नहीं हो सकी थी। इस दौरान 60 हजार और दूसरी बार 48 हजार आवेदकों को निराश होना पड़ा था। जानकारों का कहना है कि पिछले 3 वर्षों में 400 से ज्यादा पद पहले से खाली हैं। 53 कॉलेजों के 2119 पद नए जुड़े। नए कॉलेजों में ही हैं एकश हजार पद। दरअसल इन 1669 पदों पर नियुक्तियां होने के बाद भी प्रदेश भर के 1500 से ज्यादा कॉलेजों में अलग-अलग 39 विषयों के 400 से ज्यादा पद खाली रहेंगे। ये वे पद हैं, जो पिछले कुछ सालों में प्रोफेसरों के रिटायर्ड होने, निधन या एच्छिक सेवानिवृत्ति से खाली हुए हैं।
35 बड़े कॉलेजों में छात्र संख्या 12 हजार, लेकिन औसतन 100 ही
इंदौर के होलकर साइंस कॉलेज, शासकीय अटल विह्यरी वाजपेयी कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, माता जीजाबाई गल्स पीजी कॉलेज, खरगोन पीजी कॉलेज सहित प्रदेश भर के 35 ऐसे शासकीय कॉलेज हैं, जिनमें छात्र संख्या औसत 12 हजार या उससे भी ज्यादा है, जबकि यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार यूजी में प्रति 30 छात्र पर एक फैकल्टी होना चाहिए। उस लिहाज से 360 नियमित फैकल्टी होना चाहिए. लेकिन इन कॉलेजों में औसत 100 ही हैं। जीएसीसी में तो यह संख्या 60 पर ही है। हालॉंकी विजिटिंग और गेस्ट फैकल्टी के जरिये क्लासेस लगवाई जाती हैं। इंदौर संभाग में सिर्फ 3 कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य है। इनमें भी दो सितंबर तक रिटायर्ड हो जाएंगे।
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