डिजिटल डायमंड : भारत की अपनी पहली “विक्रम 32-बिट प्रोसेसर’ सेमीकंडक्टर चिप

भारत ने 2 सितंबर को अपनी पहली सेमीकंडक्टर चिप ‘विक्रम 32-बिट प्रोसेसर’ लॉन्च कर दी। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेइसे “डिजिटल डायमंड” कहा। यह एक जुमला नहीं है, बल्कि भारत की टेक्नोलॉजी क्रांति की ओर एक बड़ा संकेत है। सेमीकंडक्टर भारत के भविष्य के लिए भी काफी जरूरी है ।

सेमीकंडक्टर आज सिर्फ गैजेट्स या कंप्यूटर्स तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आने वाले समय में ये हमारी जिंदगी के हर हिस्से में असर डालने वाले हैं।

भारत की पहली मेड इन इंडिया’ चिप ‘विक्रम 32-बिट प्रोसेसर’ इसरो (ISRO) की सेमी कंडक्टर लैब ने डिजाइन और डेवलप किया है। यह माइक्रो प्रोसेसर खासतौर पर डिजिटल डायमंड परिस्थितियों जैसे रॉकेट लॉन्च या स्पेस मिशन में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका निर्माण और पैकेजिंग पंजाब के मोहाली स्थित हब में की गई है।

सीजी-सेमी कंपनी गुजरात के साणंद में चिप असेंबली और टेस्टिंग कर रही है। यह भारत की पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है, जिसे मोदी सरकार ने 2023 में मंजूरी दी थी। यहां से बड़े पैमाने पर ‘”मेड इन इंडिया” चिप्स आने वाले समय में बनने की उम्मीद है।

डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DL) योजना के तहत चिप डिजाइन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली है। इससे छोटी कंपनियां और स्टार्टअप चिप डिज़ाइन कर पाएंगे। रक्षा, एयरो स्पेस,इलेक्ट्रिक वाहन और एनर्जी सेक्टर के लिए नई- नई चिप्स बन रही हैं।

सरकार ने 2021 में भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) शुरू किया था। सिर्फ तीन साल में ही यह मिशन सफल होता दिख रहा है। अब तक छह राज्यों (गुजरात, असम, यूपी, पंजाब,ओडिशा और आंध्र प्रदेश) में 1.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश वाली 10 बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।

सेमीकंडक्टर को डिजिटल दुनिया का दिल कहा जाता है। पीएम मोदी ने भी इसे डिजिटल डायमंड की परिभाषा दी है।यह हेल्थकेयर, ट्रांसपोर्ट , कम्पुनिकेशन, डिफेंस और स्पेस रिसर्च हर सेक्टर में इस्तेमाल होता है। जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल और ऑटोमेशन की तरफ बढ़ रही है, वैसे-वैसे सेमीकंडक्टर राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक मजबूती का अहम हिस्सा बन रहे हैं।

यह सिलिकॉन बेस्ड छोटा सा डिवाइस होता है, जिसमें कई इलेक्ट्रॉनिक सर्किट भरे रहते हैं। इसे डिवाइस का ब्रेन कहा जा सकता है। इसके जरिए डेटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज, कंट्रोलऔर कम्युनिकेशन जैसे काम होते हैं।

इसका साइज नाखून जितना छोटा होता है। इसमें कई लेयर्स होती हैं। इसे बनाने के लिए सिलिकॉन के साथ तांबा, कांच, जर्मेनियम और गैलियम आर्सेनाइड जैसे मटेरियल का इस्तेमाल होता है। ये डिजिटल दुनिया के लिए सबसे जरूरी हथियार भी है।

स्मार्टफोन: डिस्प्ले, बैटरी, नेविगेशन और 5G कनेक्टिविटी।

कंप्यूटर: बाइनरी कोड प्रोसेस करना, RAM और मेमोरीस्टोरेज।

मेडिकल डिवाइसः हार्ट मानिटरिंग, स्कैनिंग मशीनें। ऑँटोमोबाइलः इलेक्ट्रिक वाहनों और सोलर पैनलों में पावर मैनेजमेंट।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेसः डेटा प्रोसेसिंग और स्मार्ट फंक्शन्स।

75% सेमीकंडक्टर सिर्फ एशिया में बनते हैं। इस लिस्ट में ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन इसमें सबसे आगे हैं। अमेरिका, जापान, जर्मनी, नीदरलैंड्स, सिंगापुर और मलेशिया भी बड़े निर्माता हैं। अब भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो चुका है, जो हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।

भारत में अब बहुत सारी कंपनियां जैसे Verve semi Microelectronics डिफेंस, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिक गाड़ियांऔर एनर्जी सिस्टम के लिए एडवांस चिप्स बना रही हैं। इसका मतलब है कि अब भारत सिफ चीजें खरीदने वाला देश नहीं रहा, बल्कि खुद चीजें बनाने वाला भी बन गया है। सरकार ने जून 2023 में साणंद (गुजरात में) एक बड़ा सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने का प्रस्ताव मंजूर किया था। इसके अलावा सरकार ने कुल 6 राज्यों में 10 बड़ी सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियां लगाने के लिए मंजूरी दी है। ये छह राज्य हैं: गुजरात,असम, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा और आंध्र प्रदेश। इन परियोजनाओं पर कुल मिलाकर 1.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश होने वाला है। इससे भारत की सेमीकंडक्टरइंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ेगी और देश की टेक्नोलॉजी क्षमता मजबूत होगी।

केंद्रीय इलेक्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खास तोहफा दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री को विक्रम 32-बिट प्रोसेसर और चार परीक्षण चिप्स भेंट किए। विक्रम 32-बिट प्रोसेसर भारत का पहला पूरा “मेक- इन-इंडिया” 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है। इसका मतलब है कि इसे पूरी तरह से भारत में बनाया गया है। यह प्रोसेसर खासतौर पर अंतरिक्ष में इस्तेमाल होने वाले प्रक्षेपण यानों के लिए बनाया गया है। इसका डिजाइन इतना मजबूत है कि यह अंतरिक्ष की कड़ी और कठिन परिस्थित्तियों में भी सही तरीके से काम करता है।
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