भारत की इकोनॉमी: इस साल 4 ट्रिलियन डाॅलर का लक्ष्य छूने की ओर

भारत की इकोनॉमी: इस साल 4 ट्रिलियन डाॅलर का लक्ष्य छूने की ओर…

भारत 2024 में भी इकोनॉमी के लिहाज से दुनिया में ‘ब्राइट स्पॉट’ रहेगा। इस वर्ष जीडीपी 6.5% से अधिक रहने का अनुमान है। कम्पाउंड सालाना ग्रोथ भी चीन (4-5%) से ज्यादा रहेगी। वर्ल्ड इकोनॉमी (3% ) की तुलना में भारत की ग्रोथ दोगुनी से ज्यादा और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (औसत 1.5% ) की तुलना में 4 गुना से ज्यादा रहेगी। खास बात यह है कि भारत इकोनॉमी  के एस कर्व में प्रवेश कर रहा है जब शहरीकरण, औद्योगीकरण, घरेलू आय और ऊर्जा खपत सबसे तेजी से बढ़ती है। यह ट्रैंड एक समय में कई दशकों तक आगे बढ़ता है। जब कोई देश इकोनॉमी के एस कर्व चरण में पहुंचता है तो तेजी से विकास होता है। यह बढ़े हुए निवेश, तकनीकी प्रगति और उत्पादकता में सुधार को दर्शाता है। इसका आकार अंग्रेजी के एस (S) अक्षर जैसा दिखता है। आगामी वर्षों में चीन को औवर टेक

करने की दिशा में यह वर्ष बेहद अहम है। हमारी इकोनॉमी और जनसांख्यिकी 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत के बीच चीन से मिलती-जुलती है। जहां से दो दशक तक चीन ने लंबी छलांग लगाई। यह तस्वीर बताती है कि अगले दो दशक भारत के हैं। 2045 तक भारत की ग्रोथ चीन से औसतन 3.5% अधिक रहने की संभावना है। यहीं वजह है गोल्डमैन सैक, मॉर्गन स्टेनली, मूडीज़ समेत कई वैश्विक वित्तीय संस्थानों को उम्मीद है कि अगले 25 साल भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था की धुरी बना रहेगा। भारत इस वर्ष 4 ट्रलियन डॉलर के लक्ष्य को भी हासिल करेगा। एसएंडपी ग्लोबल का अनुमान है कि 2030 में हमारी इकोनॉमी 7.3 ट्रिलियन डॉलर की होगी। तब भारत जापान को पछाड़कर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनेगा।

आय… प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति आय 5.9 लाख रु, चीन की 2007 में थी

हमारी प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति (पीपीपी) आय 5.9 लाख रु. है, जहां चीन 2007 में था। देश की पीपीपी आये चीन की 47.5% व उन्नत इकोनॉमी की 16% है। हमारी औसत उम्र 27.9 वर्ष है, जहां चीन 1998 में था। यानी भारत इकोनॉमिक पीक से दूर है। ये गैप ही देश के लिए सबसे बड़ा अवसर है, जिसे हम तेजी से भर रहे हैं। 2044 में दोनों देश एक स्तर पर होंगे।

वर्कफोर्स…हमारी 15-64 वर्ष की आबादी बढ़ रही, चीन की घट रही है।

2012 से 2022 तक हमारी जनसंख्या वृद्धि औसतन 1.1% प्रति वर्ष रही। 1988 से 1998 तक के दस वर्षों में चीन में इतनी ही वृद्धि देखी गई थी। चीन में 15-64 वर्ष के कामकाजी लोगों की संख्या सालाना 0.7% दर से घट रही है। वहीं, देश में इस उम्र की आबादी 0.72% की रफ्तार से बढ़ रही है। बीते 20 साल से भारत की टोटल फैक्टर प्रोडविटिविटी भी चीन से अधिक रही है। यानी हमें बढ़ती कामकाजी आबादी का लाभ मिलेगा।

ऊर्जा.. 26 गीगाजूल प्रति व्यक्ति खपत, चीन की 90 के दशक में थी

हमारी कुल तेल खपत 23.7 करोड़ टन है, जोचीन की 2001 में थी। प्रति व्यक्ति ऊजा खपत 26 गीगाजूल है। ये चीन में 1990 के दशक के शुरू में थी। हमारी प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत चीन से 76% व उन्नत देशों से 82%, कम है। 2022-2025 के बीच देश में ऊर्जा खपत की मांग 81% बढ़ने का अनुमान।

शहरीकरण…35% आबादी शहरों में है, चीन में ऐसा 2000 में हुआ

2010-2021 के बीच देश की शहरी आबादी 19.6% की दर से बढ़ी है। अब कुल आबादी में शहरी आबादी की हिस्सेदारी 35% है। चीन ने पहली बार यह स्तर वर्ष 2000 में छुआ था। हमारी 80% आबादी की उम्र 50 साल से कम है। बड़ी समानता यह भी है कि ग्रामीण आबादी का बड़ा हिस्सा बेहतर कमाई वाले काम की तलाश में शहरों में जा रहा है। 

भरोसा… उन्नत देश अब हमारे साथ हैं, 90 के दशक में चीन के साथ थे

2010-19 के बीच प्रति व्यक्ति जीडीपी देश में 5.2% व चीन में 4.5% की दर से बढ़ी। 2044 तक हमारी प्रति व्यक्ति विकास दर चीन से ज्यादा रहेगी। अभी टॉप इकोनॉमी वाले देश हमारे साथ हैं। 1990 के दशक में चीन को इसका फायदा मिला था। अब चीन से कंपनियां पलायन कर रही हैं। ऐसे में चीन ने 16-24 उम्र के लोगों का बेरोजगारी डेटा देना बंद कर दिया है। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट के मुताबिक भारत में बेरोजगारी दर 4.19 है, जो दशक में सबसे कम।

महिला शक्त… देश के वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ेगी

देश के कॉलेजों में पुरुषों से अधिक महिलाएं हैं। स्टेम (साइस, टेक्नोलॉजी, इंग्लिश, मैथ्स) में 43% महिलाएं हैं, जो दुनिया में सर्वाधिक है। 32% के साथ अमेरिका दूसरे नंबर पर है। यह ट्रेंड दिखाता है कि अगले दो दशक में महिलाओं का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 55% होने की संभावना है। ■■

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