मध्यप्रदेश में दूसरी नदी जोड़ो परियोजना पर मुहर, पार्वती-कालीसिंध -चंबल और 6 छोटी नदियाँ होगीं लिंक 

मध्यप्रदेश में दूसरी नदी जोड़ो परियोजना पर मुहर पार्वती-कालीसिंध -चंबल और 6 छोटी नदियाँ होगीं लिंक  प्रदेश में 2024 की सबसे बड़ी उपलब्धि पार्वती-कालीसिंध -चंबल लिंक परियोजना सह राजस्थान पूर्वी नहर परियोजना (पीकेसी-ईआरसीपी) के रूप में सामने आई है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में नवगठित राज्य सरकारों ने पीकेसी रिवर लिंक परियोजना पर केंद्र सरकार की मध्यस्थता में त्रिपक्षीय समझौता किया। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने दोनों राज्यों के सकारात्मक रुख को देखते हुए परियोजना को मंजूरी देते हुए इसे राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट घोषित कर दिया है। लगभग 72 हजार करोड़ की इस परियोजना की 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी। शेष 10 फीसदी राशि मप्र और राजस्थान सरकार खुद खर्च  करेंगी। मप्र में लगभग 35 हजार करोड़ की लागत से 17 छोटे बांध और बैराज बनाए जाएंगे।

इनसे प्रेशराइज्ड पाइप और ओपन कैनाल नहरें संशोधित निकाली जाएंगी। इस राष्ट्रीय परियोजना में मप्र और राजस्थान दोनों की सीमा पर मौजूद चंबल की सहायक नदियां पार्वती, कालीसिंध, क्षिप्रा, कूनो, लखुंदर, मेज, क्यूल, बनास शामिल हैं । इनमें बारिश का सरप्लस पानी बांधों में रोककर और बैराज के जरिए दूसरे इलाके में डायवर्ट किया जाएगा। दोनों राज्य अपनी- अपनी सीमा में आने वालेसप्रोजेक्ट की डीपीआर खुद बनाएंगे। बेसिन का हाइड्रोलॉजी सर्वें और पानी की उपलब्धता (ईल्ड) का निर्धारण केंद्रीय जल आयोगस(सीडब्ल्यूसी) करेगा। दोनों राज्य बांधों कीसडीपीआर मैं अंतरराज्यीय जल वितरण की राष्ट्रीय गाइडलाइन और नीति आयोग के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए बनाएंगे। म.प्र. इसी शर्त के कारण राजस्थान के साथ समझौता करने के लिए राजी हुआ है।

5 साल में आकार लेगी परियोजना

यह परियोजना 5 वर्ष में आकार लेगी, जिससेमप्र और राजस्थान की 1.5 करोड़ आबादी सीधे लाभान्वित होगी। केंद्रीय मंत्री गजंद्र सिंह ने कहा दोनों राज्यों के 26 जिलों की 5.60 लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई क्षमता विकसित होगी। एमओयू मप्र के लिए बड़ी सौगात है। इससे मप्र में 4 लाख 12 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित बनाया जा सकेगा।

फायदा….जिलेवार सिंचाई का विवरण मालवा में

उज्जैन- 65 हजार हेक्टेयर 

शाजापुर- 46 हजार हेक्टेयर

धार-10 हजार हेक्टेयर 

इन्दौर-12 हजार हेक्टेयर 

आगर-मालवा- 4 हजार हेक्टेयर 

ग्वालियर-चंबल में

शिवपुरी-95 हजार हेक्टेयर 

श्योपुर – 25 हजार हेकटेयर

ग्वालियर-गुना और भिंड- 80 हजार हेक्टेयर

कुल- 3,37,000 हेक्टेयर 

यहां बनेंगे बड़े और छोटे बांध चंबल अपर बेसिन में 7 बांध..

गांधी सागर डेम के अपस्ट्रीम में चंबल नदी पर 5 नए बांध बनेंगे, एक -एक बांध क्षिप्रा और गंभीर नदी पर बनेगा। उज्जैन, इंदौर और धार के सोनचिरी, रामवासा, बचौरा, पदुनिया, सेवरखेड़ी, चितावत और सीकरी सुल्तानपुरा गांव में छोटे-छोटे बांध । बनेंगे। कुल जल भंडारण क्षमता 403 एमसीएम।

सिंचाई क्षमता निर्माण 87 हज़ार हेक्टेयर.

लाभार्थीं जिले- उज्जैन, इंदौर, धार.

पेयजल… इस प्रोजेक्ट में 323 एमसीएम पानी का प्रावधान

इस प्रोजेक्ट में 323 एमसीएम पेयजल का प्रावधान किया है। वर्तमान की जरूरत के हिसाब से मालवा क्षेत्र के इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा और शाजापुर जिलों को 150 मिलियन घन मीटर पानी दिया जाएगा। जबकि चंबल क्षेत्र के – शिवपुरी, श्योपुर, ग्वालियर, गुना, मुरैना, भिंड को 20 मिलियन घनमीटर पेयजल दिया जाएगा। 153 एमसीएम पानी भविष्य की पेयजल जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त प्रावधान किया है।

श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई (कूनो) कॉम्प्लेक्सः

6 बांध … कूनो नदी पर श्योपुर-शिवपुरी और गुना जिलों में 4 बांध और 2 बैराज बनेगे। कटीला,

सोनपुर, पावा और धनवाड़ी गांव में बांध और श्यामपुर और नैनागढ़ में बैराज बनेंगे।सभी की कुल जल भंडारण क्षमता 564 एमसीएम होगी।

सिंचाई क्षमता निर्माण- 1.48 लाख 400 हेक्टेयर  जमीन सिंचित

लाभार्थी जिले – गुना, श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड

लखुंदर बैराज और रंजीत सागर 

लखुंदर बैराज : शाजापुर में लखुंदर नदी पर 148.57 एमसीएम क्षमता का बैराज

रंजीत सागरः कालीसिंध पर कुंडालिया डेम के ऊपर 179 एमसीएम जल भंडारण क्षमता का नया डेम।

सिंचाई क्षमता निर्माण – 50 हजार हेक्टेयर. 

लाभार्थी जिला – शाजापुर, आगर मालवा 

उद्योगों को लाभ-उज्जैन, देवास, शाज़ापुर, आगर मालवा,सीहोर और रायसेन के उद्योगों को इस परियोजना से 30 एमसीएम पानी दिया जाएगा।

कुंभराज कॉम्प्लेक्स में दो डेम..

गुना के कुंभराज में 182 एमसीएम जल भंडारण क्षमता के दो डेम का निर्माण होगा, कुंभराज -1और कुंभराज-2 । सिंचाई क्षमता निर्माण – 51600 हेक्टेयर , लाभार्थी जिला -गुना।

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