दुनिया में मिनरल की डिमांड बढ़ी, माइनिंग उभरता सेक्टर

दुनिया में मिनरल की डिमांड बढ़ी, माइनिंग उभरता सेक्टर

अनिल अग्रवाल, चेयरमैन, वेदांता समूह

मानव सभ्यता का पहला धातु युग 6000 साल पहले शुरू हुआ जब हमारे पूर्वजों ने पहली बार तांबे (कॉपर) का इस्तेमाल शुरू किया। इसके बाद का लौह युग 3,000 साल पहले शुरू हुआ था। इस तरह माइनिंग और मेटलजी दुनिया के सबसे पुराने उद्योग हैं। ये इंडस्ट्री हजारों साल से इंसान के जीवन को समृद्ध बना रहे हैं। 21वीं सदी में इन्हें नई अहमियत मिली है। भविष्य की अर्थव्यवस्थाओं में इलेक्ट्रॉनिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अलावा एनर्जी के स्रोतों में बदलाव से जुड़ी टेक्नोलॉजी  की बड़ी भूमिका होगी। इन सभी में मिनरल्स की जरूरत पहले से ज्यादा होगी। इससे भविष्य की अर्थव्यवस्थाएं मिनरल्स और मेटल्स पर अधिक निर्भर हो जाएंगी। इसे देखते हुए माइनिंग उभरता हुआ सेक्टर नजर आ रहा है। भारत इसका लाभ उठा सकता है।

सभी ने ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) टेक्नोलॉजी के लिए लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसी मेटल और मिनरल्स की बढ़ती डिमांड के बारे में सुना है। लेकिन सिर्फ ये ही धातुएं भविष्य के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। कॉपर और एल्युमीनियम जैसे मेटल्स की डिमांड भी बढ़ रही है। ईवी को पारंपरिक कार के मुकाबले छह गुना ज्यादा मिनरल्स की जरूरत होती है। इसमें कॉपर की चार गुना और एल्यूमीनियम की दोगुनी खपत होती है। समुद्र तट पर बने विंड एनर्जी प्लांट को रेगुलर पावर प्लांट की तुलना में नौ गुना मिनरल्स चाहिए। दुनियाभर की सरकारें नेट जीरो कार्बन टारगेट की घोषणा कर चुकी हैं। इससे मिनरल्स की डिमांड और बढ़ेगी। भारत इस डिमांड में आगे रहेगा। हालांकि मिनरल्स की डिमांड जिस तेजी से बढ़ने वाली है, सप्लाई उतनी तेज होने की संभावना नहीं है। दुनिया के कई हिस्सों में मंजूरी मिलने में ज्यादा समय लगने से माइनिंग मुश्कल और धीमी हो गई है। किसी नए प्रोजेक्ट को माइनिंग के लेवल तक पहुंचने में 8-10 साल लग सकते हैं। इसके अलावा आसानी से खोजे जाने वाले मिनरल्स भी लगभग खत्म हो चुके हैं। इसके चलते माइनिंग कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।

बदलते परिवेश में हम न सिर्फ घरेलू बाजार के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए मिनरल्स का उत्पादन कर सकते हैं। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर रोजगार का सृज़न कर सकते हैं, विदेशी मुद्रा बचा सकते हैं, पैदा कर सकते हैं और सरकारी खजाने में बड़ा योगदान भी दे सकते हैं। भारत में माइनिंग और मेटल रिफाइनिंग से बड़े पैमाने पर नौकरियों के मौके बढ़ाए जा सकते हैं। हमें पता होना चाहिए माइनिंग सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली इंडस्ट्री में से एक है। अभी बड़े स्तर पर खनिजों और धातुओं के आयात से भारत के बजाय दूसरे देशों में नौकरियां पैदा हो रही हैं। हाल के व्षों में इस मामले में तकनीकी तौर पर बड़ी तरक्की हुई है। टेक्नोलॉजी के मामले में प्रगति का मतलब है कि पर्यावरण को कम से कम नुकसान के साथ माइनिंग की जा सकती है। कुल मिलाकर इस सेक्टर का स्वस्थ विकास भारत के लिए गेमचेंजर साबित होगा।

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