चर्चित पर्सनलिटी: डी गुकेश(भारत के शतरंज खिलाड़ी)

डी गुकेश, भारत के शतरंज खिलाड़ी

खेलने के लिए नियमित पढ़ाई छोड़ी, लोन लिया, अब सबसे युवा विजेता बने गुकेश

परिवार:पिता- रजनीकांत, मां- पद्या।

शिक्षा: वेलाम्मल विद्यालय स्कूल,

चेत्रई से स्कूली शिक्षा।

खिताब : एशियन चेस फेडरेशन द्वारा प्लेयर ऑफ द ईयर अर्वोर्ड (2023)। 

पांच बार के वल्ड चैम्पियन नावें के मैग्नस कालसन ने कहा था कि भारतीय खिलाड़ी किसी भी सूरत में इस बार कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नमिंट नहीं जीत पाएंगे। खासकर डी गुकेश को तगड़ी हार मिलेगी क्योंकि उनके विरोधी बहुत मजबूत हैं, लेकिन 17 साल के इस युवासचैम्पियन ने न केवल मैग्नस को गलत साबित किया बल्कि अब वर्ल्ड चैम्पियन बनने के भी सबसे युवा दावेदार बन गए हैं। वल्ड चैम्पियनशिप के लिए गुकेश का मुकाबला अब चीन के डिंग लिरेन से गुकेश को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए उनके माता-पिता को भी काफी त्याग करने पड़े। जब गुकेश ने शतरंज में बेहतर करना शुरू किया तो पेशे से डॉक्टर पिता को नीकरी छोड़नी पड़ी दरअसल विदेश में टूर्नामिंट होने के कारण वे मरीजों को समय नहीं दे पाते थे ऐसे में उन्होंने अपना क्लीनिक बंद कर दिया। इसका नुकसान यह हुआ कि उनकी आय सीमित हो गई। गुकेश के टूरनमिंट और परिवार के खर्च का बोझ मां पद्मा पर आ गया। उस समय गुकेश को प्रायोजक नहीं मिल रहे थे जबकि विदेश में टूनमिंट खेलने का खर्च बहुत अधिक था। ऐसे में कई बार टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए उन्हें लोन तक लेने पड़े। उनके पिता रजनीकांत विदेशी टूर्नामेंट का एक किस्सा सुनाते हैं। 2021 में जब वे गुकेश को यूरोप लेकर गए तब उन्हें भारत वापस आने में लगभग 4 महीने लग गए। दरअसल गुकेश ने इस दौरान 13 से 14 टूनमिंट खेले। उन्हें तीन बार फ्लाइट छोड़नी पड़ी। गुकेश को चेस के अलावा क्रिकेट, बैडमिंटन जैसे खेल भी पसंद है। उन्हें खाने का बेहद शौक है शतरंज टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी हैं। अब विश्व चैम्पियनशिप के सबसे युवा चैलेंजर भी बन गए हैं।

शुरआत: 7 साल की उम्र में खेलना शुरू किया था शतरंज

गुकेश का पूरा नाम डोमाराज गुकेश है। उनका जन्म चेन्नई में रजनीकांत और पद्या के घर हुआ था। पिता पेशे से आंख, नाक और गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हैं जबकि मां माइक्रोबायोलाजिस्ट हैं। पिता रजनीकांत क्रिकेट प्लेयर थे। कॉलेज के दिनों में क्रिकेट खेलते थे। उन्होंने राज्य स्तरीय सिलेक्शन के लिए ट्रायल भी दिए, लेकिन परिवार के दबाव में क्रिकेट छोड़कर डॉक्टरी की पढ़ाई करने लगे। गुकेश सात साल की उम्र में शतरंज खेलने लगे थे। बेटे की रुचि को देखते हुए रजनीकांत ने उन्हें खूब प्रेरित किया। खेल और पढ़ाई के बीच सामंजस्य बनाने में दिक्कत न हो इसलिए चौथी कक्षा के बाद नियमित पढ़ाई करने से छूट दे दी। एक साक्षात्कार में रजनीकांत ने बताया कि गुकेश ने प्रोफेशनल शतरंज खेलना शुरू करने के बाद से वार्षिक परीक्षा नहीं दी है।

करियर : 12 की उम्र में बने दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर 

गुकेश ने 7 साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। 2015 में उन्होंने अंडर-9 एशियन स्कूल चेस चैम्पियनशिप जीती। इसके बाद 2018 में अंडर-12 कैटेगरी में वर्ल्ड यूथ चैम्पियनशिप का खिताब जीता। 2017 में उन्होंने 34वें कैप्पेल-ला-ग्रैंड-ओपन में इंटरनेशनल मास्टर बनने के मानक पूरे कर लिए। 

2019 को 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रंड मास्टर बन गए। हालांकि उनका यह रिकॉर्ड अमेरिकी ग्रैंड मास्टर अभिमन्यु मिश्रा ने तोड़ दिया। वे 12 साल 4 महीने में ग्रैं मास्टर बने। गुकेश अब दुनिया के तीसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर हैं। दूसरे नंबर पर रूस के सगेई हैं जो 12 साल 7 महीने में ग्रंड मास्टर बे। कैंडिडेट्स चैम्पियनशिप जीतने वाले अब दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बने हैं।

रोचक : रैकिंग में विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ा पिता के आनुसार गुकेश एक साल में लगभग 

250 टूर्नामिंट मैच तक खेलें हैं जबकि दूसरे खिलाड़ी 150 मैच भी नहीं खेल पाते।

यूरोप में टूनामेंट के दौरान पैसों की बचत के लिए वे पिता के साथ एयरपोर्ट पर ही सो गए थे।

2020 में कोरोना काल आर्थिक रूप से उनके  परिवार के लिए अच्छा साबित हुआ। शतरंज के  टूर्नमिंट ऑनलाइन हो रहे थे। ऐसे में ट्रैवेल का खर्च बच रहा था । पिता का दोबार हॉस्पिटल में काम मिला उनकी आर्थिक स्थिति ठीक होने लगी।

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