तीन नए आपराधिक कानून 1जुलाई से लागू
तीन नए आपराधिक कानून 1जुलाई से लागू
एक जुलाई से देश की आपराधिक न्याय प्रणाली बदल जाएगी। शनिवार को गृह मंत्रालय ने तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता ,(बीएनएसएस)नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य संहिता के नोटिफिकेशन जारी कर दिए। जुलाई से जो भी आपराधिक केस दर्ज होंगे, उनमें धाराएँ नए कानूनों के हिसाब से लगेंगी। पुराने मामलों में पुरानी धाराओं में सुनवाई और सजा होंगी। तीनों कानूनों को पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रपति ने मंजूरी दी थी। तभी से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, विधि विशेषज्ञो से बनी करीब 3 हजार एक्सपर्ट की टीम देशभर में 20 लाख पुलिसकर्मियों को नए कानूनों की ट्रेनिंग दे रही है। इन्हें नए कानूनों की हैंडबुक भी दी गई है। सबसे पहले 4928 आईपीएस अफसर ट्रैंड किए गए। पुलिस मुख्यालय भोपाल में स्पेशल डीजी संजय कुमार झासने बताया कि जिलों में 5-5 मास्टर ट्रेनर तैयार किए हैं। इन्हें 5-5 दिन ट्रेनिंग दी जा रही है। यही लोग जिलों के स्टाफ को 31 मार्च से ट्रेनिंग देंगे। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर तैयारसकराया है। सभी 16671 थानों को अपग्रेड किया जा रहा है। ये काम जून में पूरा हो जाएगा।
हर जिले में होगी एक फॉरेंसिक वैन
गृह मंत्रालय सूत्रों के अनुसार हर जिले में फॉरेंसिक वैन तैयार कराई जा रही है। अभी 85 वैन खरीदी गई हैं। 800 अन्य वैन विभिन्न कंपनियों के सहयोग से तैथार कराई जा रही हैं। ये काम जून तक पूरा हों जाएगा। वैन में फिंगरप्रिंट, डीएनए टेस्टिंग एक्सपर्ट रहेंगे।
राजद्रोह अब नए रूप में: राजद्रोह शब्द खत्म। अब ‘राज्य के खिलाफ अपराध’ नामक नया खंड शामिल। इसमें जानबूझकर बोले या लिखे गए शब्दों से, संकेतों से, सोशल मीडिया द्वारा अलगाव या सशस्त्र विद्रोह भड़काना या इसकी कोशिश करना अपराध होगा। देश की एकता या संप्रभुता को खतरे में डालते हैं तो 7 साल से उम्रकैद तक की सजा। जुर्माना भी लगेगा। अभी आईपीसी की धारा 124ए में राजद्रोह पर तीन साल कैद से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है। नए कानूनों में राजद्रोह की जगह देशद्रोह शब्द लिखा गया है।
हिट एंड रन के प्रावधान अभी लागू नहीं होंगे
हिट एंड रन मामलों से जुड़े प्रावधान अभी लागू नहीं होंगे। ट्रक ड्राइवर्स भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) के विरोध में थे। उन्होंने हड़ताल भी की थी। इसमें हिट एंड रन के मामलों में 10 साल तक की जेल और जुमनि का प्रावधान है। फिलहाल गृह मंत्रालय इस पर अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस से चर्चा के बाद ही फैसला लेगा।