भविष्य में AI की मांग और बढ़ेगी

भविष्य में AI की मांग और बढ़ेगी 

नवंबर 2022 में ओपनएआई के चैटजीपीटी के रिलीज के बाद अधिकांश यूजर्स ने कोड्स और आर्टिकल्स लिखने में इस टूल की मदद ली है। इससे एआई की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। दूसरी ओर देश में एआई की वजह से विभिन्न इंडस्ट्रीज में बदलाव हो रहे हैं। एक तरफ जहां डेटा एंट्री और कॉल सेंटर जैसे क्षेत्रों में ऑटोमेशन बढ़ रहा है वहीं दूसरी तरफ डेटा साइंस, इंजीनियरिंग और मशीन लर्निंग में जॉब्स के अवसर बढ़ रहे हैं। भारतीय जॉब मार्केट में एआई और मशीन लर्निंग के रोल्स की मांग बढ़ रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2024 में जनरेटिव एआई की नौकरियों में बढ़ोतरी होगी। 2019 में एआई के आने के बाद भारतीय जॉब मार्किट में तेजी से बदलाव हुआ है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक 2025 तक एआई 1.2 करोड़ जॉब्स पैदा करेगा। वहीं व्हीबॉक्स नेशनल एम्प्लॉयबिलिटी टेस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2026 तक 10 लाख एआई प्रोफेशनल्स होंगे। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 85 प्रतिशत पेशेवरों को लगता है कि अगले 1-5 साल में एआई जॉब के नए अवसर पैदा करेगा। 63% जॉब सीकर्स का भी यही मानना था। इंडीड इंडिया के सर्वें के मुताबिक एआई(AI) से एजुकेशन, हैल्थकेयर, मीडिया, फाइनैंस और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर्स में जॉब के ज्यादा अवसर पैदा होंगे।Nडेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 97 प्रतिशत भारतीय अर्गेनाइजेशन्स ने एआई और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी में निवेश किया है।

रोबोटिक्स के क्षेत्र में एआई का महत्व अधिक हैल्थकेयर, फाइनेंस, मैन्यूफैक्चरिंग और ट्रांसपोर्टेशन जैसे क्षेत्र  में एआई का काफी उपयोग हो रहा है। उदाहरण के तौर पर रोबोटिक्स के क्षेत्र में एआई का बेहतरीन उपयोग हो रहा है। इसमें एआई का उपयोग ऐसी मशीनें बनाने के लिए किया जाता है जो जटिल कार्यों को पूरा कर सकती हैं। इसके अलावा एआई की मदद से एपल सीरी, एमेजॉन का एलेक्सा और गूगल असिस्टेंट जैसे डिजिटल असिस्टेंट बनाए जा रहे हैं। ये अपॉइंटमेंट बुक करने, फ्लाइट बुक करने और ऑनलाइन शॉपिंग जैसे कार्यों में मदद करते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि विभिन्न सेक्टर्स में एआई की काफी मांग है। गार्रटनर की एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में एआई का ग्लोबल रेवेन्यू 51.5 बिलियन डॉलर का था जो 2020 की तुलना में 14.1 प्रतिशत बढ़ा है। ऐसे में भविष्य में एआई स्किल्स की मांग बढ़ेगी। भविष्य में इन स्किल्स की समझ दिलाएगी सफलता प्रोग्रामिंग स्किल्स – एआई सेक्टर में करिअर बनाने के इच्छुक उम्मीदवार को पायथन, जावा, आर, सी+ +, जावास्क्रिप्ट जैसी प्रोग्रमिंग लैग्बेज की समझ होनी जरूरी है। अपनी कोड की विश्वसनीयता के कारण एआई और मशीन लनिंग में पायथन का काफी उपयोग होता है। वहीं जेनेटिक प्रोग्रामिंग और न्यूरल नेटवर्क में जावा का काफी इस्तेमाल होता है। अपस्किलिंग के लिए विभिन्न एडटेक प्लेटफॉर्म पर प्रोग्रमिंग लैंग्वेज के कोर्स उपलब्ध है।

लाइब्रेरीज और फ्रेमवर्क एआई एप्लिकेशन को बनाते वक्त लाइब्रेरीज और फ्रेमवर्क का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें नम्पी, कैरस, टेंसरफ्लो और सीबॉर्न शामिल हैं। इनका उपयोग विशाल डेटा सेट, वैज्ञानिक कम्प्यूटिंग आदि में किया जाता है। इन प्लेटफॉर्म की बेहतर समझ से कोड तेजी से लिखे जा सकते हैं।

मैथेमेटिक्स और स्टैटिस्टिक्स – इन दोनों की मदद से डेटा को बेहतर ढंग से समझा और एनालाइज किया जा सकता है। मैथेमेटिकल स्किल्स जैसे लीनियर एलजेब्रा, स्टैटिस्टिक्स, प्रोबैब्लिटी, ग्राफ और ऑप्टिमाइजेशन टेक्नीक्स की समझ जरूरी मशीन लर्निंग और डीप लर्निग – कम्पूटर साईंस में मशीन लनिंग और डीप लर्निंग दो सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र हैं। इन दोनों की मदद से प्रोग्राम किए बिना कम्यूटर को प्रशिक्षित किया जाता है।

एआई में ये सॉफ्ट स्किल्स हैं जरूरी

एआई के क्षेत्र में सॉफ्ट स्किल्स का भी उतना ही महत्व है। जितना एआई स्किल्स का। इनमें सबसे प्रमुख हैं

● क्रिटिकल थिकिंग

● प्रॉब्लिम सॉँल्विंग

● कम्यूनिकेशन

एआई के क्षेत्र में साँफ्ट स्किल्स का अलग महत्व है क्योंकि इसे आसानी से मापा नहीं जाता ना ही इसे आटोमेशन मोड पर शिफ्ट किया जा सकता है। एआई जेनरलिस्ट मैथ्यू इमेरिक बताते हैं कि टेक्कोलॉजी की दुनिया में सॉफ्ट स्किल्स का भी महत्व है।

जैसे-जैसे एआई में बदलाव आएंगे वैसे-वैसे कम्यूनिकेशन और क्रिटिकल थिंकिंग जैसी सॉफ्ट स्किल्स की जरूरत भी बढ़ेगी। कोडिंग लैंग्वेज और प्रोग्रामिंग की समझ के अलावा सॉफ्ट स्किल्स की भी मांग है। ट्रेनिंग और एजुकेशन के जरिए इन स्किल्स को डेवलप किया जा सकता है। इसके लिए यूड़ेमी और कोसेंरा जैसे प्लेटफॉर्म पर कई सॉफ्ट स्किल्स कोर्सेंज उपलब्ध 

एआई से जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट –

ग्लोबल एआई मार्केट 2030 तक 37.3% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ेगा। अनुमान है कि 2030 तक यह 1811 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। वहीं भारतीय एआई मार्केट की बात करें तो अनुमान है कि यह साल 2028 तक 3935 मिलियन डॉलर पर पहुंच जाएगा। 2025 तक एआई में देश की जीडीपी में करीब 500 बिलियन डॉलर जोड़ने की क्षमता है। पीडब्ल्यूसी के एक सर्वें के मुताबिक 51 प्रतिशत भारतीय प्रोफेशनल्स का मानना है कि एआई से उनकी वर्क प्रोडव्टिविटी में इजाफा होगा। 31 प्रतिशत प्रोफेशनल्स का मानना है कि एआई से उनकी कार्यशैली बेहतर होगी। 37 प्रतिशत हायरिंग मैनेजर्स का मानना है कि ह्युमन एआई कोलैवरेशन एक जरूरी स्ट्रेटेजी है। वहीं एम्म्लॉयर्स उन उम्मीदवारों को ज्यादा हायर कर रहे हैं जिनके पास साइबरसिक्योरिटी, डेटा साइंस और एनालिटिक्स स्किल्स हैं।

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